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निपाह वायरस को लेकर दिल्ली के अधिकारी सतर्क, केरल न जाने की दी गई सलाह

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कर्मचारियों को भी सलाह दी गई है कि अभी वे केरल न जाएं। फिलहाल दिल्ली में एक भी मामला सामने नहीं आया है।

By Edited By: Published: Wed, 23 May 2018 10:31 PM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 10:47 PM (IST)
निपाह वायरस को लेकर दिल्ली के अधिकारी सतर्क, केरल न जाने की दी गई सलाह
निपाह वायरस को लेकर दिल्ली के अधिकारी सतर्क, केरल न जाने की दी गई सलाह

नई दिल्ली [जेएनएन]। केरल में फैले निपाह वायरस के संक्रमण के मद्देनजर दिल्ली में किसी तरह का अलर्ट जारी नहीं किया गया है पर दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं। अधिकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के संपर्क में हैं।

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संक्रमण फैलाने वाले चमगादड़ों की पहचान हो गई है

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय के अधिकारी कहते हैं कि केरल में संक्रमण फैलाने वाले चमगादड़ों की पहचान हो गई है। इसलिए घबराने की स्थिति नहीं है। उम्मीद है कि इस बीमारी का संक्रमण दूसरी जगहों पर नहीं फैल पाएगा। फिर भी अधिकारी लोगों को अभी केरल नहीं जाने की सलाह दे रहे हैं।

अभी केरल न जाएं

दिल्ली के अस्पतालों में बड़ी संख्या में केरल की रहने वाली नर्सें कार्यरत हैं। गर्मीं में स्कूल व कॉलेजों की छुट्टियां होने पर बड़ी संख्या में लोग केरल जाते हैं। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कर्मचारियों को भी सलाह दी गई है कि अभी वे केरल न जाएं। फिलहाल दिल्ली में एक भी मामला सामने नहीं आया है।

ऐसे फैला वायरस

केरल में भी यह मालूम चल गया है कि कोझिकोड में स्थित दो कुओं में 300-400 चमगादड़ रहते हैं। जांच में पाया गया है कि वे निपाह वायरस से संक्रमित थे। चमगादड़ खजूर व फलों को खाते हैं। उनके द्वारा खाए गए फलों से इस बीमारी का संक्रमण हुआ है। हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि चमगादड़, सूअरों व अन्य जानवरों के जरिये यह बीमारी फैलती है। एक आदम से दूसरे आदमी में भी यह बीमारी फैल सकती है।

ऐसे लक्षण हों तो तुरंत लें चिकित्सा परामर्श

डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि यह बीमारी दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) की तरह होती है। इसके संक्रमण से बुखार के अलावा सांस लेने में तकलीफ, गले में कुछ फंसे होने का अनुभव, पेट दर्द, उल्टी, थकान व आंखों की रोशनी कमजोर होने जैसा महसूस होता है।

डरने की जरूरत नहीं

सबसे पहले वर्ष 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह में यह बीमारी सामने आई थी। इसके बाद बांग्लादेश में यह बीमारी कई बार फैल चुकी है। वर्ष 2001 में भारत के सिलीगुड़ी में भी इसका संक्रमण देखा गया था। इस बीमारी में मृत्युदर 74 फीसद तक है। हालांकि अब तक किसी खास इलाके में ही इसका संक्रमण सीमित रहा है। इसलिए डॉक्टर कह रहे हैं कि घबराने की कोई बात नहीं है।

बचाव के उपाय

चमगादड़ या पक्षियों द्वारा कुतरे फल न खाएं

बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क न करें

संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए हाथों की नियमित सफाई जरूरी है

एन 95 मास्क का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

रेलवे भी अलर्ट

इस बीमारी के संक्रमण के मद्देनजर रेलवे के अधिकारी भी अलर्ट हैं। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि विभागीय अधिकारी स्वास्थ्य मंत्रालय के संपर्क में हैं। किसी यात्री के बीमार होने पर उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा।

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