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Delhi News: ग्रामीणों ने कुछ इस तरह से सुधार दिया प्राचीन मंदिर परिसर व सरोवर

लाडपुर गांव में मौजूद प्राचीन दादा पौबार मंदिर और उसके आसपास मौजूद पार्क और सरोवर को गांव के लोगों ने विकसित करने का बीड़ा उठाया। गांव वालों की मेहनत का ही नतीजा है कि 15 एकड़ में फैला यह मंदिर परिसर बगैर किसी प्रशासनिक सहायता के विकसित हो चुका है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 04:56 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 04:56 PM (IST)
Delhi News: ग्रामीणों ने कुछ इस तरह से सुधार दिया प्राचीन मंदिर परिसर व सरोवर
मंदिर व आसपास के परिसर को विकसित करने में ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से खर्च किए 50 लाख रुपये।

शिप्रा सुमन, बाहरी दिल्ली। लाडपुर गांव में मौजूद प्राचीन दादा पौबार मंदिर और उसके आसपास मौजूद पार्क और सरोवर को गांव के लोगों ने विकसित करने का बीड़ा उठाया। आज गांव वालों की मेहनत लगन और समर्पण का ही नतीजा है कि करीब 15 एकड़ में फैला यह मंदिर परिसर बगैर किसी प्रशासनिक सहायता के विकसित हो चुका है। 

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पार्क को किसी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में शोभित किया 

आपसी सहयोग और मेहनत के बलबूते ग्रामीणों ने पिछले करीब तीन वर्षों में पार्क को किसी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में शोभित किया है। मंदिर की भव्यता को इसके दो एकड़ में फैले सरोवर एवं इसके परिसर में लगाए गए दर्जनों भांति के पेड़ इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। इस कार्य में करीब 50 लाख रूपये खर्च किए गए हैं जो पूरे गांव के सहयोग से हुआ है। गांव के लोगों का उद्देश्य है कि आने वाले समय में पूरी दिल्ली के लिए यह स्थान प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाए।

फलदार व छायादार पेड़ों की रौनक

पार्क में आम, अमरूद, पपीता जैसे कई फलदार वृक्षों की भरमार है। मौसम के अनुरूप इनमें फल आने पर ग्रामीण इसका लाभ मिलजुल कर लेते हैं। वहीं पीपल, बरगद, नीम, इमली जैसे छायादार वृक्षों से सजा यह क्षेत्र पर्यावरण को भरपूर संरक्षण प्रदान कर रहा है। भरपूर हरियाली की वजह से गांव की आबोहवा स्वच्छ और जीवनदायी बन गई है। इनका मोहक दृश्य हर किसी को आनंद की अनूभूति दे जाता है। पेड़ों की सिंचाई के लिए नहर व सरोवर के पानी का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त सिंचाई के लिए आधुनिक वाटर ड्रीपपिंग सिस्टम भी लगाया गया है। 

खेल के मैदान

मंदिर में खेल के लिए हरा भरा घास का मैदान, क्रिकेट मैदान, वालीबाल और बैडमिंटन कोर्ट है। इसके अलावा कबड्डी मैदान, हैंडबाल कोर्ट, दौड़ लगाने के लिए चारों तरफ करीब चार सौ मीटर का आधुनिक लाइटों से लैस ट्रैक, व्यायाम के लिए आधुनिक व्यायामशाला, जैसी सुविधाएं मंदिर परिसर में उपलब्ध हैं। मंदिर कमेटी व ग्रामवासियों के सहयोग से मंदिर परिसर में बच्चों के लिए अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किड जोन की स्थापना की गई है जिससे यह परिसर पिकनिक स्पॉट बन गया है। आज यहां बड़ी संख्या में आस पास के गांवों के लोग आने लगे हैं। 

ऐतिहासिक विशेषता

गांव में मौजूद दादा पौबार मंदिर वर्षों से लोगों की असीम श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। इसे लेकर ऐतिहासिक मान्यताएं भी खास हैं जिसके कारण दूर दूर से लोग मन्नतें व मुरादें लेकर यहां आते हैं। प्राचीन समय में यह स्थान खांडव वन के नाम से जाना जाता था जिसमें पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय बिताया था। प्राचीन महत्ता के कारण इस मंदिर में गांव व आसपास के क्षेत्र रहने वालों की असीम श्रद्धा है। उनका मानना है कि यहां आकर जो मन्नत मांगता है वह अवश्य पूरी होती है। 

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