दिल्ली के 2 जिलों के 24 स्कूलों में नहीं है खेल का मैदान, छात्रों को नहीं है आउटडोर गेम्स की जानकारी
छात्रों के शारीरिक और मानसिक विकास को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत स्कूलों में खेल के मैदान को अनिवार्य किया गया था लेकिन दिल्ली के 2 जिलों के 2 दर्जन स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है।
नई दिल्ली, रीतिका मिश्रा। स्कूली छात्रों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए खेलों का बहुत महत्व है, इसीलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत स्कूलों में खेल के मैदान को अनिवार्य किया गया है।
एनईपी-2020 के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ सप्ताह पहले टिप्पणी दी थी कि खेल के मैदान के बिना कोई स्कूल नहीं हो सकता है, लेकिन राजधानी दिल्ली के नई दिल्ली और मध्य दिल्ली जिले के दो दर्जन से अधिक सरकारी स्कूलों में खेल का मैदान ही नहीं है। शिक्षा विभाग इन जिलों के जिन 19 स्कूलों में खेल का मैदान होने का दावा कर रहा है, उन स्कूलों में पड़ताल की गई, तो सामने आया कि यहां खेल का मैदान मानदंड के अनुसार नहीं है।
कई सरकारी स्कूलों ने भवन के आगे खाली पड़े मैदान को ही खेल मैदान बना लिया है। वहीं कुछ ने स्कूल के बीच में या पीछे के हिस्से में बनी छोटी सी खाली जगह को ही खेल का मैदान बताया हुआ है। कुछ ने तो विभाग को जानकारी ही नहीं दी है कि उनके यहां खेल का मैदान है भी या नहीं।
मामले में शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता को फोन और एसएमएस के जरिये जवाब मांगा गया, लेकिन कोई उत्तर नहीं आया। मैदान तो दूर की बात है कुछ स्कूलों में कुछ ही कमरों में एक से 12वीं तक की कक्षाएं संचालित हैं। इन स्कूलों के पास जब इंटरमीडिएट जैसे विद्यालय के लिए ठीक से भवन ही नहीं है। यह स्थिति सिर्फ नई दिल्ली या मध्य दिल्ली जिले की ही नहीं, बल्कि दूसरे दिलों की भी है।
विभाग की वेबसाइट पर कालम पूरे, हकीकत में शून्य
सरकारी स्कूलों में खेल का मैदान है या नहीं, यह देखने के लिए शिक्षा विभाग की वेबसाइट को भी जांचा गया। इसमें मध्य दिल्ली के जोन 27 के 25 स्कूल, जोन 18 के 15 स्कूल और नई दिल्ली के तीन स्कूलों की सूची बनाकर देखा गया कि किन स्कूलों में खेल का मैदान है और किन स्कूलों में नहीं है।
जिन स्कूलों के आगे लिखा था कि यहां पर खेल का मैदान है वहां पर खेल का मैदान का क्षेत्रफल जब जांचा गया तो ये हकीकत में शून्य दिखा। कुछ स्कूलों ने खेल के मैदान का क्षेत्रफल 350 वर्ग फीट से लेकर 1500 वर्ग मीटर तक बताया, लेकिन खेल के मैदान के नाम पर स्कूल के आगे, पीछे या स्कूल के बीच में छोटी सी खाली जगह छोड़ी गई है। उसमें भी या तो घास उग रही है या कंक्रीट लगी है। एक स्कूल के एक प्रधानाचार्य ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि स्कूलों में छात्रों को इनडोर खेल की खिलाए जाते हैं।
इसलिए हैं जरूरी प्रतिभा दिखाने का मौका
स्कूलों में खेल मैदान नहीं होने से विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं मिलता।
प्रशिक्षण: कई बार बच्चों को लंबी अवधि की ट्रेनिंग चाहिए होती है, ऐसी स्थिति में जरूरी प्रशिक्षण बच्चों को मिल नहीं पाता है।