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Delhi News: गरीब बच्चों और महिलाओं के जीवन में रोशनी भरने का काम कर रही 'सना'

दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने वाली सना गरीब बच्चों और महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जिंदगी के उस फर पर चल पड़ी हैं जिसमें न सिर्फ मजबूद इरादों बल्कि सूझ-बूझ की भी जरूरत होती है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 07:30 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 12:20 PM (IST)
Delhi News: गरीब बच्चों और महिलाओं के जीवन में रोशनी भरने का काम कर रही 'सना'
सना दिल्ली के रोहिणी में रहने वाले गरीब बच्चों और महिलाओं के जीवन में बदलाव का काम कर रही है।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। पढ़ने की आदत को, पंखों-सा फैलाओ तुम, ज्ञान के आकाश में, विचरो और छा जाओ तुम। यहीं सीख हर बच्चे को देती हैं 22 वर्षीय सना श्रीवास्तव। दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने वाली सना, गरीब बच्चों और महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जिंदगी के उस सफर पर चल पड़ी हैं जिसमें न सिर्फ मजबूत इरादों बल्कि सूझ-बूझ की भी जरूरत होती है।

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सना कहती है कि उन्हें हर जगह बस यही बात सुनने को मिलती थी कि अगर हर व्यक्ति एक-एक गरीब परिवार की भी मदद करे तो देश से गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा जैसी तमाम समस्याओं का अपने आप ही हल हो जाएगा। अब सना एक नहीं बल्कि हैदरपुर गांव के 800 परिवारों को गोद लेकर उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने पर कार्य कर रही हैं।

कालेज के दिनों से ही शुरू हुआ था गरीब परिवारों को गोद लेने का सफर

सना के मुताबिक उन्हें उनके कालेज में एक प्रोजक्ट मिला था जिसमें उन्हें गरीब तबके के लोगों की समस्याएं जाननी थी। उनके मुताबिक जब उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर कार्य करना शुरू किया तो उन्हें पता चला कि हर घर में कुछ न कुछ समस्याएं हैं। उन्होंने अपना प्रोजेक्ट पूरा करने के दौरान एक दिन उन्होंने सोचा कि क्यों न गरीब परिवारों में रह रहे इन लोगों की कहानियों को आगे लाकर इनकी समस्याओं को सुलझाया जाए। बस फिर क्या था, उसी दिन उन्होंने ठान लिया कि वो गरीब तबकों में रह रहे परिवारों का मानसिक स्वास्थ्य सुधारने और उनकी संघर्ष की कहानियों को आम जन तक पहुंचाने का कार्य करेंगी। साल 2018 में उन्होंने हैदरपुर गांव के 800 परिवारों को गोद लिया और उनके समाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में कार्य करना शुरू कर दिया।

महिलाओं को बना रही हैं आत्मनिर्भर 

उन्होंने गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनके लिए कौशल कार्यक्रम शुरू किया। इसके तहत उन्होंने गांव की 50 विधवा महिलाओं को मास्क बनाने का प्रशिक्षण दिया। वो बताती हैं कि आज ये संख्या बढ़ कर 200 हो गई है। अब 200 महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के लिए मास्क बनाने का कार्य कर रही हैं। इसके साथ ही वह गांव में समय-समय पर कैंप लगाकर महिलाओं को स्वच्छता के प्रति भी जागरूक करती हैं।

जरूरत पड़ने पर वह इन महिलाओं की आनलाइन माध्यम से डाक्टर से बात कराकर समस्याएं सुलझाती हैं। उन्होंने लाकडाउन के दौरान दो हजार महिलाओं को हेल्थ केयर किट और कई गरीब परिवारों को राशन किट भी बांटी थी। महिलाएं अपनी स्वच्छता का ध्यान रखें इसके लिए उन्होंने राशन किट में वह सैनेटरी पैड भी देना शुरू कर दिया। वो बताती हैं कि उनके सामने एक मामला आया जिसमें एक 60 वर्षीय बुजुर्ग का लिवर ट्रांसप्लांट करना था लेकिन उन बुजुर्ग के पास इतने रुपये नहीं थे। उन्होंने बुजुर्ग की मदद करने के लिए क्राउड फंडिंग का सहारा लिया। क्राउड फंडिंग से मिले करीब 22 लाख रुपयों से उन्होंने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनका इलाज कराया।

हैदरपुर गांव के 500 से ज्यादा बच्चों को देती हैं तकनीक का ज्ञान 

सना कहती हैं कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसी चीज जो जीवन बीमा बन सकती है और इसी से हमें सही-गलत का फर्क भी सीखने को मिलता है। उनके मुताबिक आज गरीब समाज के लोगों के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है लेकिन वह इसे प्राथमिकता में नहीं रखते हैं। इसलिए उन्होंने हैदरपुर गांव में रह रहे 500 से ज्यादा बच्चों को शिक्षित करने का ठाना। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले उन प्रवासियों का आधार कार्ड बनवाया जो बाहर के राज्यों से आकर दिल्ली में रह रहे थे। फिर पास के ही स्कूल में दाखिला दिलाने का कार्य किया। उनके मुताबिक वो अब तक करीब 50 बच्चों का दाखिला करा चुकी हैं। इसमें कुछ छात्र हैदरपुर गांव के पास स्थित सर्वोदय विद्यालय में पढ़ रहे हैं।

वहीं, कुछ छात्रों का ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर) श्रेणी के तहत निजी स्कूलों में दाखिला दिलाया है। इसके साथ ही वह रोजाना यहां पर रहे बच्चों को तकनीक का ज्ञान देने के लिए को¨डग कक्षाएं लेती है। उनके मुताबिक छात्रों को एचटीेएमएल कोडिंग सीखने के लिए कंप्यूटर या लैपटाप की जरूरत होती है लेकिन उनके पास अभी इतने बच्चों को लैपटाप देने की व्यवस्था नहीं है तो वह ब्लैकबोर्ड पर ही कोडिंग की कक्षाएं लेती हैं। इसके साथ ही सनी उन बच्चों को नैतिक शिक्षा के साथ-साथ सामान्य ज्ञान का भी पाठ पढ़ाती हैं।

कानून की पढ़ाई करना चाहती हैं 

सना ने आइपी विश्वविद्यालय से जनसंचार में स्नातक किया है। अब वो आगे कानून की पढ़ाई करने का विचार कर रही है। उनके मुताबिक सरकार की बहुत से योजनाएं हैं जो गरीबों के लिए उपयोगी है लेकिन उन्हें इन योजनाओं की जानकारी ही नहीं है। इसलिए वह कानून की पढ़ाई कर गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता देना चाहती हैं। 

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