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Delhi News: देश के 15 शहरों में लापरवाही की भेंट चढ़ा पौधारोपण अभियान

एनजीओ लाइफ ने किया दिल्ली सहित 15 शहरों का अध्ययन कई जगह प्रदूषण के हाट स्पाट ही अभियान में सम्मिलित नहीं किए। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत देश के 15 शहरों का पौधारोपण अभियान लापरवाही की भेंट चढ़ कर रह गया।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 12:54 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 12:54 PM (IST)
Delhi News: देश के 15 शहरों में लापरवाही की भेंट चढ़ा पौधारोपण अभियान
देश के 15 शहरों का पौधारोपण अभियान लापरवाही की भेंट चढ़ कर रह गया।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत देश के 15 शहरों का पौधारोपण अभियान लापरवाही की भेंट चढ़ कर रह गया। कहीं इस हरित अभियान में प्रदूषण के हाट स्पाट ही शामिल नहीं किए गए तो कहीं पौधों की प्रजातियों का चयन ही गलत रहा। अधिकांश शहरों में विदेशी, असंगत प्रजातियों और सजावटी पौधे लगा दिए गए जो वायु प्रदूषण को कम करने में फायदेमंद नहीं होते। 

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गैर सरकारी संगठन लीगल इनिशिएटिव फार फारेस्ट एंड एनवायरमेंट (लाइफ) द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक शहरों में पौधारोपण के पीछे एनसीएपी का लक्ष्य प्रदूषण की रोकथाम है, लेकिन काफी हद तक यह लक्ष्य अधूरा ही है। ज्यादातर शहर ट्रैफिक जंक्शन और राजमार्गो जैसे प्रदूषण के मुख्य केंद्रों को ही प्राथमिकता देने में विफल रहे हैं। 

इस अध्ययन के लिए 15 शहरों को लक्षित किया गया था

दिल्ली, चंडीगढ़, वाराणसी, आगरा, पटना, कोलकाता, धनबाद, अंगुल, तलचर, गुवाहाटी, पुणो, जोधपुर, कोरबा बेंगलुरु और हैदराबाद, लेकिन आरटीआइ का जवाब केवल सात शहरों- कोरबा, हैदराबाद, दिल्ली, आगरा, चंडीगढ़, वाराणसी और गुवाहाटी ने ही दिया।

इनके अधिकारियों द्वारा साझा किए गए पौधारोपण स्थानों को शहरी उत्सर्जन के अपना सिटी कार्यक्रम से नक्शे लेकर गूगल अर्थ पर डाला गया। इसके बाद शहर के हाट स्पाट को सुपर इम्पोज किया गया। कुछ प्रदूषित क्षेत्रों की पहचान रियल टाइम एयर क्वालिटी मानिटरिंग स्टेशनों से प्राप्त प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 मूल्यों के आधार पर भी की गई। 

अध्ययन में पाया गया कि हैदराबाद में 43 जगह पौधारोपण हुआ, लेकिन हाट स्पाट केवल एक ही था। देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल वाराणसी में 25 जगहों पर पौधारोपण हुआ। ट्रैफिक जंक्शनों के आसपास केवल आठ फीसद पौधे लगे, जबकि 60 फीसद पौधारोपण आवासीय क्षेत्रों में कर दिया गया। वाराणसी में हरित पट्टी के लिए कनक चम्पा, पेलटोफोरम और सेमुल के पौधे लगा दिए हैं, जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन्हें लगाने की अनुशंसा ही नहीं करता। 

चंडीगढ़ में भी ट्रैफिक जंक्शन की अनदेखी कर पार्को और सामुदायिक केंद्रों में पौधे रोप दिए गए। आगरा में भी पौधारोपण में प्रदूषण के ज्यादातर हाट स्पाट छोड़ दिए गए। दिल्ली में 967 जगह पौधे लगाए गए, लेकिन शहर के मध्य और पूर्वी हिस्सों से इतर द्वारका, मुंडका, नरेला और बवाना जैसे बड़े हाट स्पाट की उपेक्षा की गई। 

प्रदूषण से निपटने को नियोजित हरियाली जरूरी

रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ पेड़ लगाने से प्रदूषण का स्तर कम नहीं होगा। शहरों की हरियाली के लिए सुनियोजित वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनानी होगी ताकि प्रदूषण नियंत्रण के साथ-साथ घास, झाड़ियों और पेड़ों के मिश्रण से जैव विविधता को बढ़ावा दिया जा सके।

संगठन के मैनेजिंग ट्रस्टी रित्विक दत्ता कहते हैं, गलत स्थानों और प्रजातियों के साथ शहरों की हरियाली से प्रदूषण कम नहीं होगा। हर शहर को मौजूदा पेड़ों की सुरक्षा को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए, विशेष रूप से प्रदूषण के केंद्रों में। 


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