Delhi News: घटना होती है, पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं, नतीजा सिफर
दिल्ली-एनसीआर में इमारत गिरने की कोई भी बड़ी घटना होती है तो प्रशासनिक अधिकारी तुरंत जांच के आदेश जारी कर देते हैं। जांच कमेटी भी गठित कर दी जाती है। लेकिन मामला ठंडा हो जाता है न जांच पूरी हो पाती है और न ही दोषियों पर कार्रवाई होती है।
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इमारत गिरने की कोई भी बड़ी घटना होती है तो प्रशासनिक अधिकारी तुरंत जांच के आदेश जारी कर देते हैं। यहां तक कि जांच कमेटी भी गठित कर दी जाती है। लेकिन, कुछ दिनों बाद मामला ठंडा हो जाता है न जांच पूरी हो पाती है और न ही दोषियों पर कार्रवाई होती है। इसी तरह अनदेखी का यह खेल चलता रहता है और घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहती है। दिल्ली-एनसीआर की घटनाएं इस बात को प्रमाणित करने के लिए काफी हैं।
कार्रवाई :
नगरपालिका की अधिशासी अधिकारी निहारिका चौहान, जेई चंद्रपाल, कार्यदायी संस्था के ठेकेदार अजय त्यागी, सुपरवाइजर आशीष और सहयोगी संजय गर्ग गिरफ्तार कर जेल भेजे गए, कई अभी गिरफ्त से बाहर हैं।
जर्जर इमारतों में रह रहे लाखों लोग
जनवरी, 2021 :
गाजियाबाद के मुरादनगर में उखलारसी अंत्येष्टि स्थल पर नई बनी गैलरी की छत गिर गई। 24 लोगों की मलबे में दबने से मौत हो गई। प्राथमिक जांच में लंबित है रिपोर्ट।
दिसंबर 20 :
विष्णु गार्डन इलाके में मकान की छत ढहने से चार लोगों की मौत हो गई, जबकि पांच लोग बुरी तरह घायल हो गए। मकान की छत स्लैब डालकर बनाई गई थी।
सितंबर 20 :
दिल्ली के हौजकाजी इलाके की गली शीशमहल में तीन मंजिला निर्माणाधीन इमारत गिर गई। हादसे में किसी की जान नहीं गई लेकिन एक कामगार घायल हो गया था।
अगस्त 20:
दिल्ली के बाड़ा हिंदूराव इलाके में दो पुलिसकर्मी किरायेदार की जांच करने एक मकान में गए थे। अवैध निर्माण का फोटो लेने के क्रम में छत ढह गई। छत के मलबे की चपेट में आकर एएसआइ जाकिर हुसैन सड़क पर जा गिरे, जिससे उनकी मौत हो गई थी।
जुलाई, 2020:
नोएडा सेक्टर-11 में फैक्ट्री में निर्माण के दौरान जर्जर हिस्सा ढह गया था। हादसे में दो लोगों की मौत हुई थी, जबकि तीन लोग घायल हो गए थे। मामले में जिला प्रशासन व नोएडा प्राधिकरण ने जांच कराई, लेकिन रिपोर्ट ठंडे बस्ते में है।
- ट्रांस हिंडन स्थित तुलसी निकेतन कालोनी, वैशाली स्थित कामना अपार्टमेंट में 50 साल पुराने हैं।
- जर्जर इमारतों को नो लाख लोगों के जर्जर मकान में रहने के कारण, मंडरा रहा जान का खतरा।
- इमारतों को किया जाना था त्वरित ध्वस्त, लेकिन अभी तक इसकी कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई।
- वर्षो में छह से अधिक बड़े हादसों में 14 से अधिक लोगों की मौत हुई है जिले में सरकारी स्कूल जर्जर हैं
- खोड़ा, विजयनगर में किए गए अवैध निर्माण भी हादसे की वजह बन सकते हैं।
- गौतमबुद्ध नगर में शाहबेरी कांड के बाद नोएडा प्राधिकरण ने शहर में चार श्रेणियों में जर्जर इमारतों का सर्वे कराया था
मार्च, 2020:
नोएडा के छिजारसी कालोनी में शनि मंदिर के पास निर्माणाधीन स्कूल की बाउंड्री एक झुग्गी पर गिर गई। तीन बच्चे मलबे के नीचे दब गए। इलाज के दौरान एक किशोर की मौत हो थी। मामले में पुलिस ने शिकायत के आधार पर जांच की थी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
जनवरी 20 :
दिल्ली के भजनपुरा इलाके में कोचिंग सेंटर की छत गिरने से चार बच्चों समेत पांच की मौत हो गई थी।
कार्रवाई : पुलिस ने कोचिंग सेंटर के संचालक हरिशंकर को गिरफ्तार किया था। इस हादसे में हरिशंकर के भाई उमेश की भी मौत हो गई थी।
वर्तमान स्थिति: यह मामला अभी कड़कड़डूमा कोर्ट में चल रहा है, अभी उसे सजा नहीं हुई है।
ऐसी सक्रियता की जरूरत
जुलाई, 2020 की बात है, फरीदाबाद में पार्षद दीपक चौधरी की शिकायत पर एक मामले की जांच में पता चला कि तिगांव रोड, बल्लभगढ़ स्थित स्वर्ग आश्रम परिसर में सीएनजी शव दाह गृह तथा हाल के निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा था। जांच में ठेकेदार और नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत की बात सामने आई। हालांकि एसडीओ और ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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