Move to Jagran APP

Delhi News: पर्यावरण मंत्रालय का पूर्व उप निदेशक रिश्वत लेने के लिए दोषी करार

पर्यावरण मंत्रालय के पूर्व उप निदेशक नीरज खत्री को राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने रिश्वत लेेने के मामले में दोषी करार दिया है। खत्री पर तमिलनाडू की एक कंपनी को विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए रिश्वत लेने का आरोप था।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2021 12:50 PM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2021 12:50 PM (IST)
Delhi News: पर्यावरण मंत्रालय का पूर्व उप निदेशक रिश्वत लेने के लिए दोषी करार
पर्यावरण मंत्रालय के पूर्व उप निदेशक नीरज खत्री को राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है।

सुशील गंभीर, नई दिल्ली। पर्यावरण मंत्रालय के पूर्व उप निदेशक नीरज खत्री को राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने रिश्वत लेेने के मामले में दोषी करार दिया है। खत्री पर तमिलनाडू की एक कंपनी को विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसइजेड) स्थापित करने के लिए एनओसी के बदले सवा चार लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप था। इस संबंध में सीबीआइ ने एक मार्च 2016 को केस दर्ज किया था।

loksabha election banner

खत्री के अलावा वी.वी मिनर्लस, इसके पार्टनर एस वैकुंडाराजन और लाइजन आफिसर शुभलक्ष्मी को दोषी करार दिया है। दोषियों की सजा पर 15 फरवरी को विशेष न्यायाधीश नीरजा भाटिया की अदालत में बहस होगी। विशेष अदालत ने नीरज खत्री को भ्रष्टाचार का आदि बताया है। क्योंकि 2017 में भी विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में खत्री को तीन साल कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा दी थी। 

विशेष अदालत में दायर आरोपपत्र में सीबीआइ ने कहा था कि हरियाणा के रोहतक निवासी नीरज खत्री पर्यावरण मंत्रालय में 2012 में बतौर उप निदेशक तैनात थे। वी.वी मिनर्लस तमिलनाडू के तिरुनेलवेली जिले में एसइजेड स्थापित करना चाहती थी। इसके लिए वाणिज्य मंत्रालय से मंजूरी पहले ही मिल चुकी थी, जबकि पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी नहीं मिली थी। इसके लिए एस वैकुंडाराजन ने शुभलक्ष्मी को नियुक्त किया और शुभलक्ष्मी ने नीरज खत्री से संपर्क किया।

सीबीआइ के आरोपपत्र के मुताबिक कंपनी की तरफ से चार लाख 15 हजार रुपये का एक बैंक ड्राफ्ट तमिलनाडू स्थित वीआइटी यूनिवर्सिटी के नाम जमा कराया गया। इस यूनिवर्सिटी में नीरज खत्री के बेटे सिद्धार्थ ने बीटेक में दाखिल लिया था और कंपनी की तरफ से जमा कराया गया बैंक ड्राफ्ट उसकी फीस के लिए था। आरोपपत्र में यह भी कहा गया है कि 5 जुलाई 2012 को नीरज खत्री अपने बेटे को यूनिवर्सिटी में छोड़ने गए थे। उनके दिल्ली से जाने और वापस आने की हवाई टिकट भी आरोपित कंपनी ने ही बुक की थी। यह सब खर्च कर कंपनी ने एनओसी हासिल की थी।

एक मामले में लिए सात लाख रुपये

नीरज खत्री पर 2013 में ओडिशा की एक पावर कंपनी को एनओसी देने के बदले सात लाख रुपये रिश्वत लेने का भी आरोप लगा था। इस मामले में विशेष सीबीआइ अदालत ने नवंबर 2017 में तीन साल जेल की सजा दी थी। विशेष अदालत ने 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था। हालांकि बाद में इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। अब फिर से रिश्वत लेने का दोषी पाए जाने के बाद विशेष अदालत ने नीरज खत्री को भ्रष्टाचार का आदि बताया है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.