Delhi News: दादी के कहने पर चाचा ने काटा था दामाद का प्राइवेट पार्ट, दिल्ली पुलिस की अनदेखी पर HC ने उठाए सवाल
Delhi News युगल की जीवन की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाने पर राजौरी गार्डन थाना पुलिस की आलोचना करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट कहा पुलिस ने इसे रूटीन तौर पर लिया जबकि तेजी के कार्रवाई की जरूरत थी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी अहम टिप्पणी में कहा कि शादी में पसंद की स्वतंत्रता अनुच्छेद-21 का एक आंतरिक हिस्सा है और विश्वास के सवालों का जीवन साथी चुनने की स्वतंत्रता पर कोई असर नहीं पड़ता है। अपनी मर्जी से शादी करने वाली युवती के स्वजन की जमानत याचिका पर अदालत ने की टिप्पणी। महिला के पति की शिकायत पर यह मामला दर्ज हुआ था। दिल्ली पुलिस द्वारा ठीक से प्रतिक्रिया नहीं देने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाए हैं।
युवती की दादी और मां के कहने ओर काट दिया युवक का निजी अंग
महिला के पति ने आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी के परिवार के सदस्यों ने दंपती का अपहरण करके उनकी पिटाई की और उनके निजी अंग को भी कुल्हाड़ी से काट दिया। यह भी आरोप लगाया गया कि चाकू से वार किए गए और उसके बाद उस व्यक्ति को एक नाले में फेंक दिया गया, जहां से उसके भाई ने उसे बचाया और उसे एम्स ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया।
अभियोजन पक्ष का कहना है कि शादी के बाद जब दंपती दिल्ली लौटा तो पत्नी के परिजन भड़क गए और पति को जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद पति ने 22 दिसंबर, 2021 को शाम को पुलिस स्टेशन राजौरी गार्डन में संपर्क किया और सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया। हैरत की बात है कि जब दंपती थाने से लौट रहे थे तो पत्नी के परिजनों ने उन्हें अगवा कर अपने घर ले गए जहां उनके साथ मारपीट की गई।
पत्नी के चाचा ने किया था कुल्हाड़ी से हमला
अभियोजन पक्ष ने कहा कि पत्नी की दादी ने परिवार के अन्य सदस्यों को शिकायतकर्ता के निजी अंग को काटने को कहा था। आरोप है कि मौसी और मां ने इसमें सहमति जताने पर वहां मौजूद परिवार के अन्य सदस्यों ने शिकायतकर्ता को पकड़ लिया और उसकी पत्नी के चाचा ने उस पर कुल्हाड़ी से हमला किया और उसका निजी अंग काट दिया।
बीमारियों का हवाला देते हुए मांगी जमानत
वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट में पत्नी की मां, दादी और बहन ने जमानत याचिका दायर की थी। दादी ने इस आधार पर जमानत मांगी कि वह 86 साल की वृद्ध महिला हैं और विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं। इसके साथ ही बहन ने कहा कि उसके विरुद्ध प्राथमिकी नहीं हुई थी।
दादी पर 42 आपराधिक मामले दर्ज होने की बात
इस पर अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि युवती की दादी आदतन अपराधी थी और लगभग 42 आपराधिक मामलों में शामिल रही है। उसने ही परिवार के अन्य सदस्यों को शिकायतकर्ता के निजी अंग को काटने के लिए प्रोत्साहित किया। वहीं, बहन की प्रत्यक्ष भूमिका से इन्कार करते कहा कि उसने पीड़ितों की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया था।
अदालत ने कहा कि बहन की कोई सक्रिय भूमिका नहीं है। हालांकि, मां और दादी दोनों पर हमले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था और शिकायतकर्ता के निजी अंग को काटने के लिए परिवार के सदस्यों को भी प्रेरित किया था। इस बात को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है कि उनका आपराधिक इतिहास रहा है और शुरुआती चरणों में मां को भगोड़ा घोषित किया गया था।
अदालत ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों में जिस भयानक तरीके से हमला किया गया था और घटना में शामिल युवक की पत्नी की मां और दादी को जमानत देने का कोई आधार नहीं है, जबकि कोई सक्रिय भूमिका नहीं होने पर युवती की बहन को जमानत दे दी।
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