Delhi Meerut Regional Rapid Rail : मेट्रो की तरह अपने आप नहीं खुलेंगे दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड रेल के कोच के दरवाजे
Delhi Meerut Regional Rapid Rail रेल के सभी दरवाजे एक साथ खुलने से डिब्बों के अंदर एसी की ठंडक कम हो जाती है। दोबारा डिब्बे को ठंडा करने के लिए बिजली ज्यादा खर्च होती है। वहीं पुश बटन लगने से सीमित दरवाजे खुलेंगे तो डिब्बों में ठंडक बरकरार रहेगी।
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड रेल के डिब्बों के दरवाजे अपने आप नहीं खुलेंगे। हर दरवाजे पर पुश बटन लगाया जाएगा। कतार में खड़े पहले यात्री को दरवाजा खोलने के लिए उस बटन को दबाना होगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने बिजली की बचत के लिए यह व्यवस्था की है।एनसीआरटीसी ने इस व्यवस्था को अपनाने से पहले कई रेल सुविधाओं का अध्ययन किया है। उसमें देखा गया कि जिस रेल में डिब्बों के दरवाजे खुलने की केंद्रीकृत व्यवस्था होती है, उसके प्लेटफार्म की तरफ वाले सभी दरवाजे एक साथ खुल जाते हैं। यह व्यवस्था सुबह और शाम पीक आवर्स (व्यस्त समय) में तो ठीक लगती है, लेकिन दिन के बाकी समय में जब यात्रियों की संख्या कम होती है, सभी दरवाजे खुलने से बिजली व्यर्थ होती है। जबकि, पुश बटन तकनीक से बिजली बचाई जा सकती है। क्योंकि, दरवाजा तभी खुलेंगे, जब यह बटन दबेगा। यह दावा भी किया जा रहा है कि पुश बटन की व्यवस्था को अपना कर कम बिजली खर्च में ट्रेन को ज्यादा देर ठंडा रखा जा सकता है।
एनसीआरटीसी के अधिकारियों का कहना है कि रेल के सभी दरवाजे एक साथ खुलने से डिब्बों के अंदर एसी की ठंडक कम हो जाती है। दोबारा डिब्बे को ठंडा करने के लिए एसी लगातार काम करता रहता है। जिससे बिजली ज्यादा खर्च होती है। वहीं, पुश बटन लगने से सीमित दरवाजे खुलेंगे तो डिब्बों में ठंडक बरकरार रहेगी।
पुनीत वत्स (मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, एनसीआरटीसी) का कहना है कि एनसीआरटीसी ने बिजली की बचत के लिए दरवाजे खुलने की केंद्रीकृत व्यवस्था को छोड़ अपनाया पुश बटन बहुत सोच समझ कर रैपिड रेल के डिब्बों में दरवाजे पर पुश बटन लगाने का निर्णय हुआ है। इससे बिजली की कई मायनों में बचत होती।