नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नगर निगम चुनाव परिणाम से स्पष्ट है कि पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में भाजपा के प्रत्याशी कोई कमाल नहीं कर पाए। पश्चिमी जिला के 15 में से पांच निगम पार्षद जीत कर आए। जबकि नजफगढ़ जिला के 23 में से महज आठ सीटें ही हाथ लग पाया। इस तरह से संसदीय क्षेत्र के 38 सीटों में से महज 13 सीटों पर ही भाजपा के निगम पार्षद चुनकर आए। इसके बावजूद कि नजफगढ़ की एक सीट परिसीमन के बाद समाप्त कर दी गई थी।

नजफगढ़ की चार सीटों में तीन सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की। इसी तरह परिसीमन के बाद खैरा गांव को ईशापुर वार्ड में शामिल होने के बाद नजफगढ़ वार्ड से पूर्व पार्षद को भाजपा ने टिकट नहीं दिया उसने निर्दलीय तौर पर दर्ज हासिल कर भाजपा के ही पूर्व पार्षद को मात दे दी। फिर भी इस एक सीट को भाजपा इसे अपनी सीट मानकर चल रही है।

इसी तरह परिसीमन में मटियाला विधानसभा क्षेत्र के घुम्मनहेड़ा वार्ड को समाप्त होने के बाद छह सीटों में से पांच पर भाजपा ने जीत दर्ज कर ली। सांसद अपने संसदीय क्षेत्र के सभी वार्ड पर टिकट दिलाने से लेकर कार्यालय खोलने और चुनाव प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन नजफगढ़ और मटियाला विधानसभा क्षेत्र ही सांसद की प्रतिष्ठा और भाजपा की साख को बचाने में सफलता पाई।

नजफगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा की ढिचाऊं वार्ड नीलम कृष्ण पहलवान ने अपने प्रतिद्वंदी व आप के प्रत्याशी को जबर्दस्त शिकस्त दी। दस हजार मतों से हराकर भाजपा के गढ़ को मजबूत कर दिया। इससे सांसद की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है। वहीं नजफगढ़ वार्ड से पूर्व विधायक के पुत्र अमित खड़खड़ी और पार्टी के पुराने कार्यकर्ता अमित खड़खड़ी 12 सौ से ज्यादा मत से जीत दर्ज कर यह सीट भाजपा के झोली में डाल दी।

इसी तरह से रोशनपुरा वार्ड से पहले भाजपा के पास थी इस बार भाजपा के टिकट पर बांके पहलवान ने 15 सौ से ज्यादा मत लेकर भाजपा और सांसद दोनों की लाज रख ली। लेकिन सबसे मजबूत ईशापुर वार्ड की सीट भाजपा के हाथों से निकल ही नहीं गई। पंचायती उम्मीदवार के तौर पर उतरी पूर्व पार्षद के सामने कहीं नहीं टिक सकी। और चौथे स्थान पर फिसल गई। इसकी वजह ईशापुर वार्ड से पूर्व पार्षद का सख्त रवैये और अतिआत्मविश्वास की वजह बताई जा रही है।

जानकार बताते हैं कि मटियाला के ककरौला से पूर्व पार्षद का टिकट नहीं मिलने भाजपा की करारी हार गई और यह सीट आप की झोली में चली गई। जानकार यह भी कहते हैं कि अगर टिकट का सही बंटवारा होता तो इस सीट के साथ पश्विमी जिला और नजफगढ़ जिला के अन्य सीटों पर भी भाजपा बढ़त मिलती। लेकिन परिसीमन के प पहले छावला वार्ड से भाजपा के पार्षद की पत्नी को नंगली सकरावती सीट निकालने के बाद इस तरह से दावों को बल नहीं मिल रहा है। पहली बार भाजपा ने नांगली सकरावती की सीट जीती है।

छावला और मटियाला में भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन ही नहीं किया। कड़ी शिकस्त दी है। चुनावी रणनीतिकार, पूर्व विधायक और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेश गहलोत ने कहा कि दिल्ली सरकार की विकास एजेंसियां का जब काम संपन्न होता है तब निगम का काम शुरू होता है। जल बोर्ड ने हर जगह खोदाई कर छोड़ दिया इससे साफ सफाई में बाधा आई , वार्ड के मतदाता यह समझ नहीं पाए।

Edited By: Geetarjun