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तीसरी बैठक भी फेल, दिल्ली को नहीं मिला नया मेयर, AAP के पक्ष में आंकड़ों का गणित; लंबा खिंच सकता है मामला

Delhi MCD Mayor Election एमसीडी के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब निगम चुनाव के बाद मनोनीत सदस्य और निर्वाचित पार्षद पहली ही बैठक में एक साथ हैं। सूत्र बताते हैं कि निगम एक्ट में स्पष्ट है कि सदन में मनोनीत सदस्य वोट नहीं कर सकते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariPublished: Tue, 07 Feb 2023 08:05 AM (IST)Updated: Tue, 07 Feb 2023 08:05 AM (IST)
तीसरी बैठक भी फेल, दिल्ली को नहीं मिला नया मेयर, AAP के पक्ष में आंकड़ों का गणित; लंबा खिंच सकता है मामला
तीसरी बैठक भी फेल, दिल्ली को नहीं मिला नया मेयर, AAP के पक्ष में आंकड़ों का गणित

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi MCD Mayor Election: मेयर और उपमेयर के चुनाव में पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने मनोनीत सदस्यों को वोट देने का अधिकार दे दिया था। इसके बावजूद आंकड़ों का गणित आप के पक्ष में ही था और आप प्रत्याशी शैली ओबराय की जीतने की संभावना ज्यादा थी।

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निगम की 250 सीटों पर हुए चुनाव के बाद आप को 134 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि भाजपा को 104 और कांग्रेस को नौ सीटें मिली थीं। तीन सीटों पर निर्दलीय जीते थे। एक-एक निर्दलीय भाजपा और आप में शामिल हो चुके हैं।

ऐसे में आप के सदस्यों की संख्या 135, तो भाजपा के 105 हो गई है। ऐसे में भी आप प्रत्याशी के जीतने की संभावना ज्यादा थी। हालांकि, स्थायी समिति के छह सदस्यों में से तीन भाजपा के ही होते। इससे पहले कभी ऐसी स्थिति पैदा नहीं हुई थी कि निगम चुनाव के बाद लगातार तीन बैठकों में भी मेयर और उपमेयर का निर्वाचन न हो पाया हो। बता दें कि कांग्रेस ने चुनाव से वाकआउट की घोषणा कर रखी है।

कानूनी विवाद में फंसने पर लंबा खिंच सकता है मामला

मेयर चुनाव के लिए बैठक सफल न होने के बाद उपराज्यपाल जल्दी-जल्दी बैठकों की तारीख दे रहे हैं। ऐसे में संभव है कि इसी माह एक और तारीख मेयर चुनाव के लिए मिल जाए। हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) के सुप्रीम कोर्ट जाने से यह मामला लंबा भी खिंच सकता है। निगम के पूर्व मुख्य विधि अधिकारी अनिल गुप्ता का कहना है कि चूंकि अब तीन चीजें जुड़ गई हैं।

पहली चीज यह कि मनोनीत सदस्य को वोटिंग का अधिकार है या नहीं। दूसरा, मेयर चुनाव जल्द हो और तीसरा मेयर, उपमेयर और स्थायी समिति के अध्यक्ष का चुनाव एक साथ हो या नहीं। ऐसे में इन कानूनी पहलुओं पर अदालत में चर्चा हुई तो मामले के थोड़ा लंबा खिंचने की संभावना है।

पार्षदों की सदस्यता पर लटकी है तलवार

एमसीडी में संवैधानिक संकट भी है, क्योंकि नियमानुसार 23 फरवरी से पहले अगर निगम को मेयर नहीं मिला, तो पार्षदों की सदस्यता खतरे में आ सकती है। निगम एक्ट के 32ए में लिखा है कि अगर पार्षद शपथ लेने की तारीख के उस माह के अंत या फिर अधिकतम तीस दिन के भीतर अपनी संपत्ति का ब्योरा मेयर के समक्ष जमा नहीं कराता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है।

अब संकट यह है कि मेयर का निर्वाचन हुआ ही नहीं है, तो पार्षद संपत्ति का ब्योरा कहां जमा कराएंगे। 24 जनवरी को पार्षदों ने शपथ ली थी, ऐसे में उन्हें 23 फरवरी तक यह प्रक्रिया पूरी करनी है। समस्या यह है कि मेयर न होने की स्थिति में वे कहां संपत्ति का ब्योरा जमा कराएं। ब्योरा न जमा करा पाने की स्थिति में उनकी सदस्यता पर खतरा है।

सामान्य सुविधाएं नहीं होंगी प्रभावित

नगर निगम के मेयर का चुनाव टलता ही जा रहा है। ऐसे में नागरिकों को निगम की नई विकास योजनाओं का लाभ लेने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। हालांकि, सामान्य सुविधाएं पहले की तरह मिलती रहेंगी।


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