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World Heart Day 2022: हार्ट अटैक के बाद राजकुमार जैसी समझदारी दिखाएं तो बच जाए जान

World Heart Day 2022 इलाज की कड़ी में राजकुमार को एक कांप्लेक्स एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया की मदद से दाहिनी आर्टरी में दो स्टेंट लगाए गए। कैल्सीफाइड और टोर्टुओस एनाटामी के कारण स्टेंट लगाना मुश्किल था इसलिए गाइडलाइनर (मां और बच्चे वाली तकनीक) का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया।

By JagranEdited By: JP YadavPublished: Wed, 28 Sep 2022 04:08 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 04:08 PM (IST)
World Heart Day 2022: हार्ट अटैक के बाद राजकुमार जैसी समझदारी दिखाएं तो बच जाए जान
World Heart Day 2022: हार्ट अटैक के बाद राजकुमार जैसी समझदारी दिखाएं तो बच जाए जान

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। World Heart Day 2022: 85 वर्षीय राज कुमार नामक बुजुर्ग को हार्ट अटैक के बाद आनन-फानन में आकाश अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच के दौरान सामने आया कि हाइपोटेंशन के कारण मरीज का सेंसरियम (सेंसरी और ब्रेन फंक्शन) बदल गया है।

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समय पर इलाज मिलने से हुई आसानी

इलाज में मेडिकल जांच के दौरान मरीज की ईसीजी की गई, जिसमें हार्ट रेट लगभग 20-30 प्रति मिनट पाई गई थी, जिससे पता चला कि बड़े पैमाने पर मरीज को हार्ट अटैक आया है। समय पर इलाज मिलने से राजकुमार अब पूरी तरह से ठीक हैं। विश्व हृदय दिवस 2022 के रोज यह अच्छी खबर आई है। 

ब्लड वेसेल्स को किया अनब्लाक 

आकाश अस्पताल के कार्डियोलाजी विशेषज्ञ डा. आशीष अग्रवाल ने बताया कि इस तरह के केस में मरीज को तत्काल कैथ लैब में एंजियोप्लास्टी के लिए ले जाया जाता है और बिना समय गंवाए उसकी ब्लाक हुई ब्लड वेसेल्स को अनब्लाक किया जाता है।

इलाज के दौरान करना पड़ा था वेंटिलेटर पर शिफ्ट

इस मामले में जब हमने एंजियोग्राफी की तो पता चला कि दाहिनी कोरोनरी आर्टरी गंभीर रूप से प्रभावित थी और यह 100 प्रतिशत तक ब्लाक पाई गई। इसके साथ ही मरीज के वेसेल्स में भी समस्या थी। मरीज की हालत गंभीर होने के कारण उनके बीपी और पल्स दोनों का पता नहीं चल रहा था, इसलिए उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया और उन्हें ब्लड प्रेशर बढ़ाने के लिए इंजेक्शन दिया गया। मरीज को अस्थायी पेसमेकर लगाया गया।

तीन दिन बाद किया गया डिस्चार्ज

इलाज के दौरान सफल प्रक्रिया के बाद उनकी हृदय की धड़कन सामान्य हो गई और अस्थायी पेसिंग वायर को भी हटा दिया गया। मरीज को तीन दिन तक देखरेख में रखने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। डा. आशीष ने बताया कि इस प्रक्रिया को अंजाम देना मुश्किल था, क्योंकि मरीज की आर्टरी में बहुत ज्यादा कैल्शियम जमा हो गया था, जिसकी वजह से स्टेंट लगाने में काफी परेशानी आई।


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