Delhi Crime News: दिल्ली में आया हैरान करने वाला मामला, कोर्ट से जमानत मिलने पर फिर बनाया वीडियो
Delhi Crime News दिल्ली पुलिस ने जालसाजी के आरोपितों की गिरफ्तारी का ब्योरा मीडिया से साझा किया जिसके बाद बुधवार को गिरफ्तारी की खबर मीडिया में प्रकाशित हुई। गिरफ्तारी की खबर वायरल होने के बाद धोखाधड़ी के आरोपित मनोज द्विवेदी ने बुधवार सुबह इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो डाला।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वीडियो जारी करके अपनी गिरफ्तारी को झूठा बताने वाले जालसाजी के आरोपितों का सच सामने आ गया है। 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोपित मनोज द्विवेदी (चंद्रलोक कालोनी, अलीगंज, लखनऊ), उमेश आजाद (अमानीगंज, लखनऊ) व ऋषि अरोड़ा (न्यू बेरी रोड, लखनऊ) को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने सोमवार 22 नवंबर को गिरफ्तार किया था। तीनों सोमवार दोपहर दो बजे ईओडब्ल्यू के दफ्तर पहुंचे थे, जिनसे पूछताछ के बाद पुलिस ने कार्रवाई की थी। आरोपितों के अधिवक्ता तकरीबन डेढ़ घंटे बाद ईओडब्ल्यू पहुंचे और अग्रिम जमानत के कागजात दिखाए। शाम सवा पांच बजे उन कागजों के आधार पर तीनों आरोपितों को दिल्ली पुलिस ने छोड़ दिया।
दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को जालसाजी के आरोपितों की गिरफ्तारी का ब्योरा मीडिया से साझा किया, जिसके बाद बुधवार को गिरफ्तारी की खबर मीडिया में प्रकाशित हुई। गिरफ्तारी की खबर वायरल होने के बाद धोखाधड़ी के आरोपित मनोज द्विवेदी ने बुधवार सुबह इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो डाला।
मनोज ने 18 सेकेंड का वीडियो बनाकर कहा कि मीडिया में खबर चल रही है कि श्री कालोनाइजर्स के तीन निदेशक 10 करोड़ की ठगी में गिरफ्तार किए गए हैं। मैं आप सबको बताना चाहता हूं कि मैं अपने घर में हूं। कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। आप लोग विचलित न हों। धैर्य रखें, संयम बनाकर रखें। यह राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की गंदी चाल है। इसको समझने का प्रयास करें और अपने संयम को न खोएं। मनोज का यह वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद दिल्ली पुलिस से संपर्क कर पूरे मामले की पड़ताल की गई। दिल्ली पुलिस ने साफ किया कि तीनों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में वकीलों द्वारा अग्रिम जमानत के कागज दिखाने पर छोड़ा गया।
ईओडब्ल्यू के डीसीपी राजीव रंजन ने बताया कि तीनों आरोपितों ने सिंडिकेट बैंक से 15 करोड़ रुपये लोन लेकर लखनऊ स्थित होटल व आवासीय प्रापर्टी के दस्तावेज बैंक के पास गिरवी रखे थे। बाद में उन्होंने उक्त दोनों प्रापर्टी को दो अलग-अलग कंपनियों को 10 करोड़ में बेच दिया था। तीनों को 22 नवंबर को जांच में शामिल होने के लिए ईओडब्ल्यू के मंदिर मार्ग स्थित मुख्यालय में बुलाया गया था, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के दस्तावेज पर तीनों से हस्ताक्षर भी कराए गए। इनका डोजियर भी बनाया गया है।
वर्ष 2018 में हुई थी शिकायत
डीसीपी के मुताबिक मेसर्स वीकेआर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स वंदना फार्म्स एंड रिजार्ट के निदेशक विनोद कुमार राजपाल ने 2018 में मेसर्स श्री कालोनाइजर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दो शिकायतें दी थीं। शिकायत में कहा गया था कि उक्त कंपनी के निदेशकों ने सुशांत गोल्फ सिटी, सुल्तानपुर रोड, लखनऊ व अन्य स्थानों पर आवासीय व होटल की संपत्ति अवैध तरीके से 10 करोड़ में उन्हें बेची थी। उक्त प्रापर्टी को बैंक के पास गिरवी रख आरोपित पहले ही उस पर 15 करोड़ का लोन ले चुके थे।