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Delhi Lockdown 4.0: 'दिल्ली से मिल रहा दर्द, अब यहां जी नहीं लगता' कामगारों ने बयां किया अपना दर्द

Delhi Lockdown 4.0 रिक्शा ऑटो और बस जो भी साधन उन्हें मिल रहा है कामगार परिवार के साथ दिल्ली से यूपी गेट की ओर दौड़े चले आ रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 09:23 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 09:23 AM (IST)
Delhi Lockdown 4.0: 'दिल्ली से मिल रहा दर्द, अब यहां जी नहीं लगता' कामगारों ने बयां किया अपना दर्द
Delhi Lockdown 4.0: 'दिल्ली से मिल रहा दर्द, अब यहां जी नहीं लगता' कामगारों ने बयां किया अपना दर्द

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। कोरोना से बचने के लिए किए गए लॉकडाउन को दो माह हो चुके हैं। कमाई न होने से रोजी-रोटी के लिए लोग इतने परेशान हो चुके हैं कि अब वे किसी भी हाल में सीधे अपने घर ही जाना चाहते हैं। पैदल, रिक्शा, ऑटो और बस जो भी साधन उन्हें मिल रहा है वे परिवार के साथ दिल्ली से यूपी गेट की ओर दौड़े चले आ रहे हैं। पुलिस भी लगातार इन लोगों को रोक कर शेल्टर होम भेज रही है। पांच दिन से यह चल रहा है। बृहस्पतिवार को भी गाजीपुर बॉर्डर पर लगातार लोग पहुंच रहे थे। बस इस बार पुलिस की मुस्तैदी से भीड़ कम रही।

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गुरुग्राम के मोहम्मदपुर गांव में पत्नी शाहना और छोटे-छोटे तीन बच्चों के साथ रहकर आरिफ मजदूरी का काम करते थे। पत्नी सात माह की गर्भवती है। वे उप्र के बरेली जिले के रहने वाले हैं। फैक्ट्री बंद होने के बाद उसने खर्चा चलाने के लिए खांडसा सब्जी मंडी से फल लाकर गांव में बेचना शुरू किया, लेकिन गांव वालों ने उसे फेरी लगाकर फल बेचने से रोक दिया। लोगों का कहना था कि फल और सब्जी वालों के गांव में घूमने से कोरोना फैलेगा। इसके बाद किसी तरह अब तक समय काटा। फिर मकान मालिक ने भी यह कहकर किराया मांगना शुरू कर दिया कि हम कब तक बिना किराया लिए रखें। अब जब कमाई का कोई साधन नहीं दिखा तो तीनों बच्चों और गर्भवती पत्नी को लेकर गांव की ओर निकल पड़े।

गाजीपुर डेयरी फार्म के पास आनंद विहार गोल चक्कर के नीचे पुलिस ने उन्हें रोक दिया। आरिफ का कहना था कि वे किसी भी तरह घर पहुंचना चाहते हैं। उधर, उत्तर प्रदेश के सीतापुर के रहने वाले सुरेंद्र दिल्ली में टिकरी बॉर्डर के पास परिवार के साथ रहकर बेलदारी का काम करते थे।

पत्नी सरोजिनी भी पीपीसी मार्केट में कबाड़े का काम करती थी। दोनों लोग कमाकर चार बच्चों के साथ रहने व खाने का खर्च चला लेते थे। अचानक लॉकडाउन होने से पति-पत्नी दोनों का काम बंद हो गया। साथ ही ठेकेदारों ने एक-एक महीने की मजदूरी भी रोक ली। उनका कहना है कि जब काम शुरू होगा तभी मजदूरी दे पाएंगे। जब तक पैसे थे परिवार का खर्च चलता रहा। अब मकान मालिक ने भी किराया मांगना शुरू कर दिया।

इधर, बिना कमाए चार बच्चों का खर्च चलाना मुश्किल हो गया। काफी दिन से घर जाने के लिए बस-ट्रेन चलने का इंतजार कर रहे थे। किसी ने बताया कि यूपी बॉर्डर से बसें चल रही हैं तो मजबूर होकर बीवी-बच्चों के साथ गांव जाने के लिए पैदल ही यूपी बॉर्डर की ओर निकल पड़े। यहां पहुंचने पर पुलिस ने रोक लिया। शाम को बस में बैठाकर शेल्टर होम भेज दिया।


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