Delhi News: वकीलों की नियुक्ति पर उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार आमने-सामने, आतिशी ने लगाया बड़ा आरोप
Delhi News दिल्ली में अधिवक्ताओं की नियुक्ति को लेकर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और दिल्ली सरकार के बीच अब विवाद बढ़ गया है। आम आदमी पार्टी नेता आतिशी ने इस मामले को लेकर एलजी पर गंभीर आरोप लगाया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उपराज्यपाल वीके सक्सेना और दिल्ली सरकार के बीच अब अधिवक्ताओं की नियुक्ति को लेकर तकरार हो गई है। आम आदमी पार्टी (आप) नेता आतिशी ने एलजी पर इस मामले को लेकर नियुक्ति रोकने का आरोप लगाया। इस पर एलजी कार्यालय ने आरोपों को गुमराह करने वाला बताया है।
आप की वरिष्ठ नेता आतिशी ने बुधवार को प्रेसवार्ता कर कहा कि दिल्ली सरकार में स्थायी वकील (आपराधिक), अतिरिक्त स्थायी वकील (आपराधिक) और अतिरिक्त लोक अभियोजक के पैनल की नियुक्ति प्रक्रिया को पूर्व एलजी ने मंजूर की थी।
चयनित लिस्ट को दिल्ली हाई कोर्ट के 40 जजों ने अनुमति दे दी, लेकिन एलजी वीके सक्सेना ने यह कहकर इस पर रोक लगा दी है कि अब वह फैसला करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर सरकारी वकीलों की नियुक्ति को प्रक्रिया और लंबित की गई तो इससे नुकसान राजधानी की जनता को होगा।
उन्होंने कहा कि राजधानी में होने वाले सभी अपराधों के खिलाफ जब मामला कोर्ट में जाता है तो उसे स्थायी वकील (आपराधिक) लड़ता है। ऐसे में यहां के जिला अदालतों और हाई कोर्ट में जो आपराधिक मामले चल रहे हैं, उनमें रोक लगी हुई है।
उन्होंने कहा कि एलजी के पास केवल जमीन, पुलिस और ला एंड आर्डर है। बाकी विभाग में उन्हें कैबिनेट की सलाह पर जाना पड़ेगा। लेकिन, एलजी ऐसे कदम उठा रहे हैं जिससे दिल्ली की संवैधानिक व्यवस्था पर असर पड़ रहा है। एलजी की जिम्मेदारी दिल्ली में पुलिस, महिलाओं की सुरक्षा, एमसीडी की व्यवस्था देखना है।
आप के आरोपों पर एलजी कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि उठाए जा रहे मुद्दे तथ्यों से रहित और जानबूझकर गुमराह करने वाले हैं। सूत्रों ने कहा कि स्थायी वकील (आपराधिक), अतिरिक्त स्थायी वकील (आपराधिक) और अतिरिक्त लोक अभियोजक के पैनल से संबंधित प्रस्ताव सक्रिय रूप से विचाराधीन है और ऐसे मामलों में शामिल विभिन्न पहलुओं के लिए आवश्यक सामान्य प्रक्रिया में समय लगता है।
समिति गठित न करने के आरोप पर एलजी कार्यालय ने कहा है कि दिल्ली के विधि मंत्री की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा अनुशंसित 44 स्थायी अधिवक्ताओं, अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ताओं और अतिरिक्त लोक अभियोजकों के पैनल के प्रस्ताव को दिल्ली हाई कोर्ट को सहमति के लिए भेजा गया था।
हाई कोर्ट ने चार नामों को खारिज कर दिया था और तीन जून, 2022 को केवल 40 नामों के लिए अपनी सहमति से अवगत कराया था। इसके बाद 10 जून, 2022 को हाई कोर्ट के 40 नामों और टिप्पणियों को शामिल करते हुए एक प्रस्ताव एलजी के सामने रखा गया था, जिसमें अनुशंसित उम्मीदवारों के बायोडाटा शामिल नहीं थे, जो कि उचित परिश्रम के लिए एक स्पष्ट पूर्व-आवश्यकता है।
तदनुसार फाइल को विधि विभाग को एलजी के निर्देश के साथ वापस कर दिया गया था, ताकि स्थायी वकील, अतिरिक्त स्थायी वकील, अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए सभी अनुशंसित उम्मीदवारों के बायोडाटा को रिकार्ड पर रखा जा सके। इसका उत्तर अभी तक लंबित है।