दिल्ली के उपराज्यपाल ने AAP नेताओं पर किया मानहानि का केस, 2.5 करोड़ का मांगा हर्जाना
Defamation Case against AAP Leaders मानहानि मुकदमे पर सुनवाई के दौरान उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अधिवक्ता के माध्यम से दिल्ली हाई कोर्ट से आग्रह किया कि आम आदमी पार्टी और इसके वरिष्ठ नेताओं को उनके खिलाफ अपमानजनक आरोप लगाने से रोकें।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मानहानि मुकदमे पर सुनवाई के दौरान उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अधिवक्ता के माध्यम से दिल्ली हाई कोर्ट से आग्रह किया कि आम आदमी पार्टी और इसके वरिष्ठ नेताओं को उनके खिलाफ अपमानजनक आरोप लगाने से रोकें। सक्सेना की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ के समक्ष कहा कि बिना किसी आधार के एक उच्च संवैधानिक प्राधिकरण के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं।
सक्सेना ने उनके विरुद्ध आप व इसके वरिष्ठ नेता व सांसद संजय सिंह, विधायक सौरभ भारद्वाज, दुर्गेश पाठक, जसमीन शाह व आतिशी द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किए गए ट्वीट और वीडियो को हटाने का निर्देश देने की मांग की। साथ ही ट्विटर और यूट्यूब (गूगल इंक) को भी उनके व उनके परिवार के सदस्यों की तस्वीरों के साथ किए गए ट्वीट, री-ट्वीट, पोस्ट, वीडियो, कैप्शन, टैगलाइन को हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
पीठ ने बृहस्पतिवार को उपराज्यपाल समेत अन्य का पक्ष सुनने के बाद मामले में अंतरिम राहत देने के संबंध में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया।
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उपराज्यपाल ने मुकदमे में क्या कहा?
सक्सेना ने मानहानि मुकदमे में कहा कि आम आदमी पार्टी और इसके कई नेताओं ने उन पर और उनके परिवार पर झूठे आरोप लगाए हैं। आप नेताओं ने दावा किया है कि खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) के अध्यक्ष के रूप में वह अपने कार्यकाल के दौरान 1400 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल थे। सक्सेना ने आप और इसके पांच नेताओं पर 2.5 करोड़ रुपये के हर्जाने और मुआवजे की भी मांग की है।
आप नेताओं के वकील ने दिया ये तर्क
वहीं, दूसरी तरफ आप व इसके नेताओं की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने तर्क दिया कि एक बयान यह दिया गया था कि सक्सेना के केवीआइसी अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान उनकी बेटी को खादी का ठेका दिया गया था जो नियमों के खिलाफ था।
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उन्होंने कहा कि यह बयान सही था और किसी ने भी इससे इन्कार नहीं किया है। सक्सेना ने इससे पहले पांच सितंबर को आप नेताओं को नोटिस जारी कर कहा था कि उनके खिलाफ मानहानिकारक बयान देना या प्रकाशित बंद करें।