Delhi Landfill: तेहखंड में बनेगी आधुनिक तकनीक से युक्त लैंडफिल साइट
दक्षिणी निगम तेहखंड में आधुनिक तकनीक से युक्त लैंडफिल साइट बनेगी। यहां पर केवल उसी कूड़े को डाला जाएगा जो पहले से निस्तारण प्रक्रिया से गुजर चुका होगा। लैंडफिल साइट पर सीधे तौर पर घर से निकलने वाला कचरा नहीं डाला जाएगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दक्षिणी निगम तेहखंड में आधुनिक तकनीक से युक्त लैंडफिल साइट बनेगी। यहां पर केवल उसी कूड़े को डाला जाएगा जो पहले से निस्तारण प्रक्रिया से गुजर चुका होगा। यानी इस लैंडफिल साइट पर सीधे तौर पर घर से निकलने वाला कचरा नहीं डाला जाएगा। 27 एकड़ में 55 करोड़ की लागत यह लैंडफिल 2023 में बनकर तैयार हो जाएगी।
पहले निगम ने इस लैंडफिल को बनाने के लिए 45 करोड़ रुपये की स्वीकृति ली थी। जोकि केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के स्वीकृत शुल्क 2016 के अनुरूप थी। चूंकि अब केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के 2019 के शुल्क मंजूर हो गए हैं। इसलिए इसकी राशि 10 करोड़ बढ़कर 55 करोड़ हो गई है।
भविष्य में यह लैंडफिल ओखला की तरह कूड़े का पहाड़ का रूप न ले ले, इसलिए निगम स्त्रोत पर ही कचरे का निस्तारण पर जोर देगा।ग्रुप हाउसिंग सोसायटी और रिहायशी कालोनियों में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) में गीले कचरे से खाद बनाने और सूखे कचरे से लैंडफिल पर बिजली बनाने के लिए उपयोग किया जाएगा। बिजली के प्लांट से जो राख निकलेगी उसका निस्तारण इस नई लैंडफिल पर डालकर किया जाएगा।
ठोस कचरा प्रबंधन उपनियम 2017 के तहत घर के कचरे को सीधे लैंडफिल पर नहीं डाला जा सकता। इसके लिए नागरिकों को गीले कचरे का खुद निस्तारण करना है। वहीं सूखे कचरे को डलाव पर डाला जाएगा। जहां से इस कूड़े को लेकर बिजली बनाने के लिए उपयोग किया जाएगा।उल्लेखनीय है कि दक्षिणी निगम के पास इस समय केवल ओखला लैंडफिल साइट हैं। 40 एकड़ में फैली इस साइट पर 55 लाख टन कूड़ा पड़ा है।
इसके निस्तारण के लिए निगम ने यहां पर ट्रामेल मशीनें लगाई हैं। इसके जरिये लैंडफिल पर पड़े कूड़े से मिट्टी और लोहे व पत्थर को अलग-अलग किया जा रहा है।
ओखला लैंडफिल साइट एक नजर में
- 1996 में शुरू हुई यह लैंडफिल साइट 40 एकड़ में फैली है। इसकी ऊंचाई पहले 62 मीटर थी। इसे निगम ने 20 मीटर तक कम कर दिया था।
- डेढ़ लाख टन कूड़े ट्रामेल मशीनों से निस्तारित कर 10000 वर्ग मीटर इलाके को खाली किया जा चुका है
- 12 मीटर तक लैंडफिल के एक टीले की ऊंचाई कम हो गई
- अक्टूबर 2019 से 5 ट्रामेल मशीनों से प्रतिदिन 1500 टन कूड़े का किया जा रहा निस्तारण
- 15 मेगावाट बिजली 1200 टन कूड़े से बनाई जाती है।