Delhi Kisan Andolan: शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के दखल से नाराज हो रहे कई किसान
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी सिंघु बोर्डर पर लगे किसानों के मंच से अपनी रोटी सेंकते हुए दिखाई देते हैं। ऐसे में आंदोलन में जुटे कई किसान इससे नाराज हैं। इनका कहना है कि अभी किसान का मुद्दा सर्वोपरि है और हम सिर्फ उसी पर बात करना चाहते हैं।
भगवान झा, बाहरी दिल्ली। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ आंदोलन में जुटे किसानों के बीच सियासी फसल काटने के मंसूबे के साथ राजनीतिक पार्टियां व नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में महीनों सड़क जाम करने वाले शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी पहुंच रहे हैं। ये सभी सिंघु बोर्डर पर लगे किसानों के मंच से अपनी रोटी सेंकते हुए दिखाई देते हैं। ऐसे में आंदोलन में जुटे कई किसान इससे नाराज हैं। इनका कहना है कि अभी किसान का मुद्दा सर्वोपरि है और हम सिर्फ उसी पर बात करना चाहते हैं। जो लोग हमारे साथ हैं वे सिर्फ और सिर्फ हमारी मांगों के बारे में बात करें तो बेहतर होगा।
अपनी मांग को लेकर पिछले आठ दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हरकीत सिंह ने बताया कि कई संस्था व संगठन के लोग हमारे बीच आ रहे हैं। यह अच्छी बात है, लेकिन उनसे गुजारिश है कि वे कृषि कानून को वापस लेने की बात पर जोर दें। किसानों के मंच का उपयोग अपनी रोटी सेंकने के लिए नहीं होना चाहिए। इससे आंदोलन दिशाहीन हो जाता है। आज जो लोग हमारी मांगों के साथ मजबूती से खड़े होंगे और आनेवाले दिनों में उन्हें हमारी जरूरत होगी तो हम भी उनका साथ देंगे।
शाहीन बाग प्रदर्शन से जुड़ी कनीज फातिमा, तदमीना, रश्मि समेत कई लोगों की ओर से किसान आंदोलन को समर्थन देने पर कमलजीत ने बताया कि यहां पर कई लोग सीएए व एनआरसी का जिक्र किसानों के मंच से कर रहे हैं। इसकी कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए। ये मंच अन्नदाताओं की आवाज को बुलंद करने के लिए बनाया गया है और इसे इसी मुद्दे तक सीमित रखना चाहिए। आंदोलन का समर्थन करने वाले सभी लोगों का हम तहेदिल से स्वागत करते हैं और अपील करते हैं कि ये हमारी मांग को लेकर सरकार पर दवाब बनाएं। इसके साथ ही कई राजनीतिक पार्टियों के नेता भी आंदोलनकारियों के बीच पहुंच रहे हैं, लेकिन इसको लेकर भी किसानों के बीच नाराजगी देखी गई।
हरमन ने बताया कि टीकरी बॉर्डर पर बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार, राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता किसानों से मिलने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें किसानों से मिलने नहीं दिया गया। सिंघु बॉर्डर पर भी कई नेता अभी तक पहुंच चुके हैं। सभी अपने-अपने दावे करते हैं, लेकिन हम किसानों को दावों से कोई मतलब नहीं है। हमें तो अपनी मांग को पूरा करना है। ऐसे में जो भी नेता यहां आ रहे हैं वे आश्वासन न देकर किसानों की मांग पूरी कैसे होगी इस दिशा में ध्यान दें। हमलोगों ने पंजाब में भी कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन किया था, लेकिन वहां तो किसी नेता ने हमारी सुध नहीं ली थी। बॉर्डर पर आते ही नेताओं को हमारी याद आने लगी है।
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