Hunar Haat 2020: बेजान पत्थर और पंखों से जीवंत की कलाकृतियां, देखते ही आप भी कहेंगे 'वाह'
Delhi Hunar Haat 2020 कोलकाता की पुतुल दास मित्र ने सोना चांदी और हीरे-जवाहरात से बनी ज्वेलरी की बजाय धान के दानों से ज्वेलरी बनाती हैं।
नई दिल्ली [रीतिका मिश्र]। हुनर हाट में एक से बढ़कर एक हुनर देखने को मिल रहे हैं। राजपथ में चल रहे इस हाट में देशभर के शिल्पकारों, हस्तकारों ने अपनी कारीगरी को दर्शाया है। यहां पर किसी से धान से ज्वेलरी बनाई है तो किसी ने पक्षी के पंखों में तस्वीरें उकेरी है। कुछ तो पैतृक ही कारीगर हैं जो पेपर व प्लास्टिक को काटकर तस्वीरें बना रहे हैं।
वहीं, कुछ ने तो कंकड़-पत्थरों को समेट के रंग भरे और उनसे गांधी जी की आकृति बनाई। यहां आकर वो सब चीजें देखने को मिलेंगी जो शायद ही कहीं और देखने को मिले।
पक्षी के पंखों में दिखे मोदी और योगी
आफरीन खान की कलाकृतियों को देखकर लगता है जैसे पंखों और रंगों से उनका पुराना रिश्ता हो। मूलरूप से उत्तर प्रदेश के रामपुर की रहने वाली 24 वर्षीय आफरीन जामिया मिल्लिया इस्लामिया से फाइन आट्र्स की पढ़ाई कर रही हें। उन्हें पंख हमेशा से आजाद होने का अहसास कराते थे और उड़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे। इसलिए उन्होंने अलग-अलग पक्षियों के पंखों को बटोरा और उनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रेमचंद, मंटो, इंदिरा गांधी, कल्पना चावला व अन्य प्रमुख लोगों की तस्वीरें उतारीं।
तस्वीरों के साथ-साथ वो पंख पर नाम, हस्ताक्षर आदि भी लिख कर देती हैं जिसकी शुरुआती कीमत 250 रुपए है। उनका इरादा अब दुनियाभर की इमारतों को पंखों में उकेरने का है। आफरीन के इस हुनर का लोहा तो 2015 में नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित जापान के टकाई कजीटा, उप्र के पूर्व राज्यपाल राम नाईक, तुषार गांधी व आरजे नावेद भी मान चुके हैं।
कंकड़ों से बनाई सुपर वाइफ, लव बर्डस व गांधी की पेंटिंग
नदी किनारे पड़े कंकड़ों से चित्रकारी करने के शौक में माहिर सचिन कुमार पेशे से वेबसाइट डिजाइनर हैं। उत्तराखंड निवासी सचिन नौकरी के चलते हरियाणा में रह रहे हैं। वह बताते हैं कि इंटरनेट में एक दिन चित्रकारी से संबंधित कुछ खोज रहे थे। तभी उन्हें आइडिया आया कि क्यों न कंकड़ों से चित्रकारी की जाए। इसके लिए वह अक्सर उत्तराखंड जाते और नदियों के पास से अलग-अलग आकार के कंकड़ बटोर लाते। घर आकर सभी कंकड़ों को धोने के बाद सुखाते हैं। फिर उनमें सॉफ्ट पेस्टलस व एक्रेलिक कलर से पेंटिंग करते हैं। इसके बाद इन पत्थरों को एक शीट में चिपका देते हैं। उनकी बनाई पेंटिंग में गांधी जी तक शामिल हैं, जिसमें वो एक बच्चे को तिरंगे के रंग के गुब्बारे पकड़ा रहे हैं। सचिन ने मां और बेटी के बीच के प्यार, सुपर वाइफ, परिवार के चित्रों को भी पत्थरों में उकेरा है। इनकी कीमत 750 रुपए से लेकर 5500 रुपए तक है।
कोलकाता की पुतुल दास मित्र ने सोना, चांदी और हीरे-जवाहरात से बनी ज्वेलरी की बजाय धान के दानों से ज्वेलरी बनाती हैं। उन्होंने बताया कि धान से ज्वैलरी बनाने का आइडिया उन्हें लक्ष्मी पूजन में धान से सजी मां लक्ष्मी की मूर्ति से आया। लक्ष्मी पूजन के अगले ही दिन उन्होंने धान से एक राखी बनाई। जो घर में लोगों को खूब पसंद आई। फिर नायलॉन के धागे में धान के दा6ने को पिरोकर टॉप्स और नेकलेस बनाने का सिलसिला शुरू कर दिया। तब से आज तक वह हजारों नौलखा हार, झुमके, नेकलेस आदि नक्काशीदार ज्वेलरी बना चुकी हैं। इस काम में उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। धान से बनी ये ज्वैलरी लाइट वेट होने के साथ-साथ कंटेम्पररी लुक भी देती है। इसमें वॉटरप्रूफ कलर का इस्तेमाल किया गया है।
उत्तर प्रदेश के मथुरा निवासी सोनी ब्रदर्स (राम सोनी, श्याम सोनी, विजय सोनी व संजय सोनी) पेपर व प्लास्टिक पर सांझी पेंटिंग (चित्रकारी) करते हैं। वह बताते हैं कि चित्रकारी उनका पैतृक काम है। उनके पहले यह काम उनके पिता विष्णु प्रसाद करते थे। उनके यहां यह काम पिछले 350 सालों से होता आ रहा है। यह काम वो केवल सूरज की रोशनी में ही करते हैं। इसके लिए वह पेपर के ऊपर पेंसिल से किसी भी चीज का स्केच बनाते हैं फिर कैंची से काटते हैं। सोनी ब्रदर्स का पूरा परिवार इस काम को घर से ही कर रहा है। उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग के लिए उन्हें साल 2002 में राष्ट्रीय पुरस्कार, साल 2012 में यूनेस्को पुरस्कार भी मिल चुका है।