नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय राजधानी में वन क्षेत्र कम होने पर बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि दिल्ली अपने वन क्षेत्र को तेजी से गंवा रही है और यहां प्रकृति के साथ अन्याय किया जा रहा है।

आने वाली पीढ़ियों के लिए पहाड़, नदियां और जंगल बचाने होंगे। पीठ ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देखने को कहा है। साथ ही उनसे समान मुद्दे वाले सुप्रीम कार्ट में लंबित मामलों की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी है। इस मामले में अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी।

कोर्ट ने स्वत: लिया संज्ञान

दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर वर्ष 2015 में स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने पीठ ने कहा कि यह मामला इस बात को उजागर करता है कि दिल्ली में वन क्षेत्र तेजी से कम हो रहा है और केंद्रीय रिज क्षेत्र के आसपास इमारतों का निर्माण किया जा रहा है।

क्या दिल्ली के वन क्षेत्र का ख्याल रखा जा रहा?

असोला अभयारण्य के आसपास के अतिक्रमण को हटाया नहीं जा रहा है। पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले में दिल्ली के वन क्षेत्र का भी ख्याल रखा गया है। इस पर उन्होंने पीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के मामले में सब कुछ शामिल है। वे भी शीर्ष अदालत में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।

पीठ ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल से कहा कि आप व्यक्तिगत रूप से इस पर गौर करें। साथ ही कहा कि न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वासुदेव ने इसे लेकर बहुत अच्छा काम किया है और सभी सूक्ष्म विवरणों को हमारे संज्ञान में डाला है। हमें लगता है कि प्रकृति के साथ अन्याय हो रहा है।

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द्वारका बेल्ट और अरावली क्षेत्र का किया जिक्र

इस मामले में द्वारका बेल्ट और अरावली क्षेत्र का जिक्र भी आया है। पीठ ने इस मुद्दे से जुड़े अधिकारियों को पहले जारी आदेशों की अवहेलना के लिए नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है।

Edited By: Geetarjun