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Delhi High Court: भारतीय उपभोक्ताओं के लिए Whatsapp का अलग बर्ताव सरकार के चिंता का विषय

वाट्सएप की नई निजिता नीति को रद करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में दलील पेश की। पीठ के समक्ष कहा कि नई निजिता नीति को लेकर वाट्सएप यूरोपियन देशों की तुलना में भारतीय उपभोक्ताओं के साथ अलग बर्ताव कर रहा है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 04:26 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 04:26 PM (IST)
Delhi High Court: भारतीय उपभोक्ताओं के लिए Whatsapp का अलग बर्ताव सरकार के चिंता का विषय
नई निजिता नीति को रद करने की मांग काे लेकर एक अधिवक्ता ने दायर की है याचिका

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वाट्सएप की नई निजिता नीति को रद करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में दलील पेश की। केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ के समक्ष कहा कि नई निजिता नीति को लेकर वाट्सएप यूरोपियन देशों की तुलना में भारतीय उपभोक्ताओं के साथ अलग बर्ताव कर रहा है, जोकि सरकार के लिए चिंता विषय है।

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यह भी चिंता का विषय है कि भारतीय उपयोगकर्ताओं को तत्काल एकतरफा फैसले के माध्यम से गोपनीयता नीति में बदलाव करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हालांकि, पीठ ने 18 जनवरी को सुनवाई के दौरान की गई अपनी टिप्पणी को दोहराते हुए कहा कि वाट्सएप को डाउनलोड करना वैकल्पिक है और डाउनलोड करना अनिवार्य नहीं है। पीठ ने कहा अन्य एप में भी उपभोक्ता के लिए समान नियम और शर्तें हैं। याचिका पर अगली सुनवाई एक मार्च काे होगी।

सुनवाई के दौरान एएसजी ने पीठ से कहा कि सरकार को चिंता है कि वाट्सएप द्वारा अपने यूरोपीय उपयोगकर्ताओं के लिए पेश की गई गोपनीयता नीति में विशेष रूप से फेसबुक कंपनियों के साथ जानकारी साझा करने पर प्रतिबंध लगाती है, जबकि भारतीय उपभोक्ताआें को दी जाने वाली गोपनीयता नीति में ऐसा नहीं है। सरकार के लिए भी चिंता का विषय है कि भारतीय उपयोगकर्ताओं पर एकतरफा गोपनीयता नीति में बदलाव के लिए मजबूर किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार पहले से ही इस मुद्दे को देख रही है और उसने वाट्सएप से इस बाबत कुछ जानकारी मांगी है। वाट्सएप की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार का संचार प्राप्त हुआ है और जल्द ही इसका जवाब दिया जाएगा। पिछली सुनवाई पर पीठ ने कहा कि अगर किसी को नीति स्वीकार नहीं है तो वह दूसरा एप इस्तेमाल कर सकता है। कई ऐसे ऐप है जो अपने ग्राहकों की जानकारी रखते हैं। सभी निजी ऐप हैं और ग्राहक चाहे तो उस का सदस्य बन सकता है या उसे छोड़ सकता है।

यह ग्राहक की इच्छा पर निर्भर करता है। याची अधिवक्ता चैतन्य रोहिल्ला ने याचिका दायर कर नई नीति को न सिर्फ करोड़ों लोगों की निजता के अधिकार का हनन बताया गया है बल्कि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा भी कहा है। वाट्सएप ने चार जनवरी को नई निजता नीति को घोषित किया है और इसके तहत सभी यूजर्स को इसे आठ फरवरी तक स्वीकार करना है। 

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