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'फेसबुक से है इतना प्यार तो दे दें इस्तीफा' दिल्ली हाई कोर्ट से सेना के अफसर को फटकार

पीठ ने कहा कि जब मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हो तब ऐसी याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं बनता।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 12:26 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 12:37 PM (IST)
'फेसबुक से है इतना प्यार तो दे दें इस्तीफा' दिल्ली हाई कोर्ट से सेना के अफसर को फटकार
'फेसबुक से है इतना प्यार तो दे दें इस्तीफा' दिल्ली हाई कोर्ट से सेना के अफसर को फटकार

नई दिल्ली [विनीत्र त्रिपाठी]। 'अगर फेसबुक से इतना ही प्यार है, तो वह सेना से इस्तीफा दे दें।' दिल्ली हाई कोर्ट यह कहते हुए जम्मू-कश्मीर में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने फेसबुक व इंस्टाग्राम जैसे 87 सोशल मीडिया प्लेटफार्म का भारतीय सेना के सदस्यों द्वारा इस्तेमाल प्रतिबंधित किए जाने की नीति को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ व न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि अगर फेसबुक से इतना ही प्यार है तो वह सेना से इस्तीफा दे दें। पीठ ने कहा कि जब मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हो तब ऐसी याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं बनता। पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि प्रतिबंध की नीति के तहत वह अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट करें। पीठ ने कहा कि वह दोबारा अपना फेसबुक अकाउंट बना सकते हैं।

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सुनवाई के दौरान ले. कर्नल चौधरी ने कहा कि एक बार फेसबुक अकाउंट डिलीट करने पर उनका पूरा डाटा नष्ट हो जाएगा। पीठ ने इस पर कहा कि आप इसे डिलीट करना होगा। पीठ ने यह भी कहा कि आपको तय करना पड़ेगा आप क्या करना चाहते है। केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि फेसबुक को दोषपूर्ण पाते हुए यह नीतिगत फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि दोस्तों व परिजनों से संपर्क करने के लिए वाट्सएप, ट्विटर और स्काइप जैसे ऐप उपलब्ध हैं। पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि उन्हें राहत देने का कोई आधार नहीं दिखाई देता।

पीठ ने इसके साथ ही एएसजी को सीलबंद लिफाफे में नीतिगत दस्तावेज पेश करने और इस फैसले को लेने का कारण बताने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ले. कर्नल ने मिलिट्री इंटेलिजेंस महानिदेशक द्वारा 6 जून को जारी आदेश को वापस लेने का निर्देश देने की मांग की थी। आदेश के तहत सभी सैन्य अफसरों एवं सैनिकों को फेसबुक-इंस्टाग्राम समेत 87 एप डिलीट करने का निर्देश दिया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह सोशल मीडिया के सक्रिय उपभोक्ता हैं। उन्होंने दावा किया था कि यह नीति अभिव्यक्ति की आजादी, निजता का उल्लंघन जैसे मौलिक अधिकारों का हनन है।

ले. कर्नल ने अधिवक्ता शिवांक प्रताप सिंह व सनिंदिका प्रताप ¨सह के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल विदेश में रहने वाली अपनी बड़ी बेटी समेत अपने दोस्तों व परिवार के सदस्यों से जुड़े रहने के लिए करते हैं। याचिका के अनुसार ले. कर्नल चौधरी को इस संबंध में नौ जुलाई को अखबार के माध्यम से सूचना मिली और फिर 10 जुलाई को उन्हें इस संबंध में एक आधिकारिक पत्र भी मिला।

ले. कर्नल चौधरी ने कहा कि ज्यादातर सैनिकों की तैनाती रिमोट एरिया में होती है और हर समय उन्हें दुश्मन से खतरा होता है, ऐसे में सोशल मीडिया ही उनके परिवार से जुड़े रहने का जरिया होता है। घर से दूर रह कर सैनिक अपने परिवार में होने वाले बर्थ-डे, शादी समेत अन्य कार्यक्रमों की फोटो व वीडियो सोशल मीडिया से हासिल कर पाता है।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया को प्रतिबंधित करने का फैसला मनमाना व अवैध है। याचिका में मिलिट्री इंटेलिजेंस महानिदेशक के अलावा सेना प्रमुख को भी पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रतिबंध के पीछे डाटा चोरी होने समेत अन्य खतरे बताए गए हैं, लेकिन सोशल मीडिया को प्रतिबंधित करना स्पष्ट रूप से व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।


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