दिल्ली हाईकोर्टः जज प्रतिभा सिंह ने खुद को एक मामले से किया अलग
किताब की पृष्ठ संख्या 151 से 155 पर लेखक ने विवादित ढांचे को बाबरी मस्जिद कहा है।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब 'द टर्बुलेंट ईयर्स 1980-1996' के कुछ अंशों को विवादित बताने वाली याचिका के मामले में नया मोड़ आ गया है। दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे इस मामले में जज प्रतिभा सिंह ने खुद को अलग कर लिया है। अब बताया जा रहा है कि कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश गीता मित्तल मामला दूसरे कोर्ट को भेजेंगी। अब इस मामले में 9 अप्रैल को सुनवाई होगी। याचिका में कहा गया है कि किताब के विवादित अंशों से हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब 'द टर्बुलेंट ईयर्स 1980-1996' के कुछ अंशों को विवादित बताते हुए उसे हटाने को लेकर लगाई गई याचिका पर निचली अदालत से निराशा हासिल होने के बाद याची ने इसे दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
यह है पूरा मामला
बीते वर्ष 30 नवंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। दो स्थानों पर लिखी बातों पर आपत्ति याचिकाकर्ता के वकील विष्णु शंकर जैन ने राष्ट्रपति की किताब 'टर्बुलेंट ईयर्स 1980-1996' के कुछ अंशों पर आपत्ति जताते हुए उनसे हिंदुओं की भावनाएं आहत होने की दलील दी। साथ ही इन अंशों को किताब से हटाए जाने का आग्रह किया गया था।
कहा गया है कि किताब के पृष्ठ संख्या 128-129 पर लिखा गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा 1 फरवरी, 1986 को राम जन्मभूमि मंदिर खुलवाने का आदेश देना उनका गलत फैसला था। जबकि सच यह है कि राम जन्मभूमि का ताला जिला जज फैजाबाद के आदेश से खुला था।
किताब में लोगों को यह बताने की कोशिश की गई है भारत में न्यायिक आदेश राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव में होते हैं। इससे न्यायपालिका की छवि खराब होती है। यह न्यायालय की अवमानना है। पृष्ठ संख्या 151 से 155 पर लेखक ने विवादित ढांचे को बाबरी मस्जिद कहा है। ऐसा कहना गलत है। किताब के विवादित अंशों से हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।