राजधानी में कोरोना नियमों में ढिलाई करने पर दिल्ली हाइकोर्ट ने की दिल्ली सरकार की खिंचाई
न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने साथ ही पूछा है कि खतरनाक होती स्थिति को लेकर दिल्ली सरकार के पास कोई नीति या रणनीति है। पीठ ने पूछा कि दिल्ली में लगातार बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सरकार ने क्या पुख्ता कदम उठाए हैं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में एक बार फिर बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के एकत्रित होने व निकलने को लेकर कोरोना नियम में छूट देने पर दिल्ली सरकार की खिंचाई की है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने साथ ही पूछा है कि खतरनाक होती स्थिति को लेकर दिल्ली सरकार के पास कोई नीति या रणनीति है। पीठ ने पूछा कि दिल्ली में लगातार बढ़ते मामलों को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने क्या पुख्ता कदम उठाए हैं। पीठ ने सुनवाई के दौरान रिकॉड पर लिया कि दस नंवबर को राजधानी में कोराेना मामलों की संख्या 8393 थी और यह लगातार बढ़ रही है, जबकि दिल्ली में कंटेनमेंट जोन की संख्या 4016 है। याचिका पर अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।
याचिकाकर्ता राकेश मल्होत्रा की जनहित याचिका पर पीठ ने यह भी रिकॉर्ड पर लिया कि सीरो-सर्वे की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 25 फीसद लोगों के शरीर में एंटी-बॉडी है, जिसका मतलब है कि एक चौथाई लोग कोरोना महामारी से संक्रमित हो चुके हैं। पीठ ने सर्वे के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी घर संक्रमण से अछूता नहीं है। पीठ ने दिल्ली सरकार से पूछा कि ऐसे में क्यों नियमों में छूट दे रही है, जबकि अन्य राज्य प्रतिबंध लगा रहे हैं।
पीठ ने 200 लोगों को सार्वजनिक कार्यक्रम में जाने की अनुमति देने और सार्वजनिक परिवहन की अनुमति के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इससे दिल्ली में तेजी से संक्रमण बढ़ेगा। पीठ ने यह भी पूछा कि मास्क न पहनने के नियम का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अब तक दिल्ली सरकार कोई कानून क्यों नहीं लेकर आई, ताकि इसे लागू करना सुनिश्चित कराया जा सके। पीठ ने कहा कि इसे तो वैक्सीन नहीं आते तक वैक्सीन ही बताया गया था।
पीठ ने दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल स्टैंडिंग काउंसल सत्काम से कहा कि वह एक स्थिति रिपोर्ट पेश करके बताएं कि कोरोना महामारी के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए उसने बीते दो सप्ताह में क्या कदम उठाएं है। राकेश मल्होत्रा की याचिका पर पूर्व में भी दिल्ली हाई कोर्ट ने कई निर्देश जारी किए हैं।
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