दिल्ली HC ने Diabetes की दवा ग्लूकोनॉर्म से पाबंदी हटाई, लाखों मरीजों को होगा फायदा
हाई कोर्ट ने ग्लूकोनॉर्म दवा पर लगे केंद्र सरकार के बैन को खत्म कर दिया है। यह दवा ग्लूकोनॉर्म नाम से ल्यूपिन कंपनी के द्वारा बनाई जाती है।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली हाई कोर्ट ने ग्लूकोनॉर्म दवा पर लगे केंद्र सरकार के बैन को खत्म कर दिया है। यह दवा ग्लूकोनॉर्म नाम से ल्यूपिन कंपनी के द्वारा बनाई जाती है। यह डाइबिटीज के इलाज में इस्तेमाल होती है। यह दवा एफडीसी के तहत आती है। इस दवा का इस्तेमाल टाइप-2 डाइबिटीज के मरीजों के इलाज के लिए होता है। इस पर केंद्र सरकार ने सात सितंबर, 2018 को अधिसूचना जारी कर प्रतिबंध लग दिया था।
क्या होती है एफडीसी
एफडीसी (FDC) का अर्थ फिक्स डोज कॉब्मबिनेशन होता है जो दो से ज्यादा एक्टिव ड्रग्स को मिला कर एक दवा बनती है। यह केंद्र सरकार के बैन के बाद से चर्चा में हैं। इसका सलाना कारोबार तकरीबन एक लाख करोड़ से ज्यादा का है। इनमें से कई दवाओं का बाजार बहुत ही व्यापक है। कई दवा बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के ही बेची जाती है जो गैरकानूनी है।
केंद्र ने क्यों लगाई रोक
केंद्र सरकार ने इस पर रोक इसके साइड इफैक्ट को देखते हुए लगाया है। भारत में डॉक्टर इन एफडीसी की दवाओं को धड़ल्ले से लिखते हैं जिनका सेहत पर गलत असर पड़ता है। मेडिकल बोर्ड के अनुसार ये दवाइयां सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। इनके सेवन से शरीर पर गलत असर पड़ता है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मानव शरीर पर बुरा असर डालती हैं। एफडीसी में शामिल कई दवाओं को दूसरे देशों में पहले से ही बैन का सामना करना पड़ रहा है। यह यह सख्त कदम इसके साइड इफैक्ट को देखते हुए उठाया गया है।
केंद्र सरकार कैसे लगाती है बैन
भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय का एक ड्रग टैक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (डीटीएबी) है। यह दवाओं की समीक्षा कर उन पर सलाह देता है। इसी बोर्ड की एक उपसमिति ने पिछले दिनों 300 से ज्यादा एफडीसी और अन्य दवाओं का अध्ययन करने के बाद इस निष्कष पर आया। इसी के आधार पर केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया। हालांकि यह मामला पहले से चल रहा है।
दवा से होने वाले खतरे
- यह दवा स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होती हैं।
- दवा से हुई एलर्जी के बाद यह जानना मुश्किल होता है कि किस साल्ट से हो रही है।