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Agusta Westland Scam: पूर्व सैन्य अधिकारियों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने CBI को भेजा नोटिस

AgustaWestland Scam न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन की पीठ ने सीबीआइ को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 16 जनवरी 2023 तक के लिए स्थगित कर दी।तीनों पूर्व अधिकारियों ने 18 जुलाई को राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष सीबीआइ अदालत द्वारा समन आदेश को चुनौती दी।

By Vineet TripathiEdited By: Pradeep Kumar ChauhanPublished: Wed, 28 Sep 2022 01:53 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 01:53 AM (IST)
Agusta Westland Scam:  पूर्व सैन्य अधिकारियों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने CBI को भेजा नोटिस
AgustaWestland Scam: अदालत ने उन्हें मामले में आरोपित के रूप में समन किया गया था।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। AgustaWestland Scam: 3,600 करोड़ रुपये के आगस्टा वेस्टलैंड हेलिकाप्टर घोटाले मामले में निचली अदालत से जारी समन को चुनौती देने वाली भारतीय वायु सेना के तीन पूर्व अधिकारियों की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआइ से जवाब मांगा है।

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न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन की पीठ ने सीबीआइ को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 16 जनवरी 2023 तक के लिए स्थगित कर दी।तीनों पूर्व अधिकारियों ने 18 जुलाई को राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष सीबीआइ अदालत द्वारा समन आदेश को चुनौती दी। अदालत ने उन्हें मामले में आरोपित के रूप में समन किया गया था।

अधिवक्ता अक्षत बाजपेयी के माध्यम से दायर याचिका में सेवानिवृत्त एयर कमोडोर नव्याथ संतोष, सेवानिवृत्त एयर कमोडोर संजय आनंद कुंटे और सेवानिवृत्त विंग कमोडोर थामस मैथ्यू ने अपने खिलाफ जारी समन को रद करने की मांग की।सीबीआइ ने आरोप लगाया है कि अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से लिए गए वीवीआपी हेलिकाप्टरों की आपूर्ति के लिए फरवरी 2010 में हस्ताक्षर किए गए सौदे से राज्य के खजाने को लगभग 2,666 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ था। 

उधर, भरण-पोषण से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि साथ न रहने जैसी ऐसी परिस्थितियां पैदा करने पर वैवाहिक जीवन बहाल करने से जुड़े केवल एक न्यायिक आदेश के कारण आपराधिक कानून के तहत पत्नी को भरण-पोषण का दावा करने से पति वंचित नहीं रख सकता है।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि इस बात पर भी जोर दिया कि भरण-पोषण से संबंधित हर मामले को एक तरीके से नहीं देखा जा सकता है और संबंधित अदालतों को संवेदनशील और सतर्क होना चाहिए।परिवार न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक महिला की याचिका पर पीठ ने उक्त टिप्पणी की।


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