ड्राइविंग लाइसेंस के आनलाइन पंजीकरण मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब, जानिए क्यों दायर की गई थी याचिका
ड्राइविंग लाइसेंस के आनलाइन पंजीकरण या नवीनीकरण के लिए आयुष यूनानी और अन्य स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों के डाक्टरों द्वारा जारी मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट स्वीकार करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। ड्राइविंग लाइसेंस के आनलाइन पंजीकरण या नवीनीकरण के लिए आयुष, यूनानी और अन्य स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों के डाक्टरों द्वारा जारी मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट स्वीकार करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई तीन सितंबर को होगी। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सकों के संगठन इंटीग्रेटेड मेडिकल प्रैक्टिशनर्स ने याचिका दायर की थी। उनके वकील तान्या अग्रवाल ने अदालत को सूचित किया कि परिवहन विभाग के साफ्टवेयर 'सारथी' में केवल एमबीबीएस डाक्टर द्वारा जारी मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट को स्वीकारने का प्रविधान है।
जबकि, आयुर्वेद और यूनानी सहित अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के डाक्टर भी मौजूदा कानूनी प्रणाली के तहत मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के हकदार हैं। लेकिन साफ्टवेयर बनाते वक्त उनको शामिल नहीं किया गया है। याचिका में मांग की गई थी कि ड्राइविंग लाइसेंस के आनलाइन पंजीकरण या नवीनीकरण के लिए इन चिकित्सा पद्धतियों के डाक्टरों के मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट को भी मान्य किया जाए।
इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया आपकी बात सही है, अन्य चिकित्सा पद्धतियों को साफ्टवेयर में शामिल न करना एक गलती हो सकती है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हमारा साफ्टवेयर में संशोधन का ही अनुरोध है। इस पर पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार के वकील को अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करने के लिए तीन सितंबर तक का समय दे दिया।