Delhi: ''फीस ना दे पाने पर बोर्ड परीक्षा देने से छात्र को रोकना संविधान का उल्लंघन'', हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने फीस का भुगतान नहीं कर पाने के कारण बोर्ड परीक्षा देने से रोकने के मामले में ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत अधिकारों का उल्लंघन है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। फीस का भुगतान नहीं कर पाने के कारण बोर्ड परीक्षा देने से रोकने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा की पीठ ने कहा कि फीस का भुगतान न करने के आधार पर एक छात्र को बोर्ड परीक्षा देने से रोकना भारत के संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत गारंटीकृत बच्चे के अधिकारों का उल्लंघन होगा।
बच्चों के भविष्य को खराब ना किया जाए- HC
अदालत ने कहा कि शिक्षा वह नींव है जो एक बच्चे के साथ सामान्य रूप से समाज के भविष्य को आकार देती है।ऐसे में दसवीं और बारहवीं की महत्वपूर्ण परीक्षाओं को देने से रोककर बच्चे के भविष्य को खराब नहीं होने दिया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि एक बच्चे को फीस का भुगतान न करने के आधार पर शैक्षणिक सत्र के बीच में कक्षाओं में न तो भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है और न ही परीक्षा देने से रोका जा सकता है। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि एक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल को फीस का भुगतान करने में असमर्थ ऐसे सामान्य श्रेणी के बच्चे को जारी रखने के लिए भी मजबूर नहीं किया जा सकता है।
हाई कोर्ट ने छात्र को दी टिप्पणी
उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने छात्र को दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति दी और द इंडियन स्कूल को निर्देश दिया कि छात्र को रोल नंबर जारी करे। अदालत ने साथ ही बोर्ड परीक्षाओं के लिए बच्चों के आयोजित की जाने वाली कक्षा या विशेष कक्षाओं में भाग लेने की भी अनुमति दी। हालांकि, अंतिम समय में याचिका दायर करने पर अदालत ने छात्र के स्वजन के आचरण की निंदा की।