दुष्कर्म आरोपित को जमानत देते समय पीड़िता के पक्ष को नहीं कर सकते इग्नोर : दिल्ली HC
पीठ ने कहा कि पीड़िता को सूचना के बिना अभियुक्त को दी गई अंतरिम जमानत को चुनौती देने वाली याचिका ने गंभीर समस्या को उजागर किया गया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Crime: दुष्कर्म मामले में आरोपितों की जमानत याचिका पर बगैर पीड़िता का पक्ष सुने फैसला करने के मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में पीड़ितों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता, जबकि कई मामलों में पीड़िता का पक्ष सुने बिना ही निचली अदालतों ने जमानत दे दी थी।
नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आरोपित को दी गई जमानत से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूíत प्रतिभा एम सिंह की पीठ ने कहा कि लॉकडाउन जैसी आपातकालीन स्थितियों के दौरान सत्र न्यायाधीशों की ओर से जमानत याचिका पर सुनवाई की जा रही है, जो नियमित पॉक्सो अदालत नहीं हैं। इसलिए आवश्यक है इन अनिवार्य प्रावधानों के बारे में उन्हें सचेत करें।
पीठ ने संबंधित जिला न्यायाधीशों को एक सप्ताह के भीतर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम आयोजित करने और सभी पीठासीन अधिकारियों को इस अनिवार्य शर्त के अनुपालन के महत्व के बारे में सूचित करने का भी निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि पीड़िता को सूचना के बिना अभियुक्त को दी गई अंतरिम जमानत को चुनौती देने वाली याचिका ने गंभीर समस्या को उजागर किया गया है।
पीठ के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल ने 22 अप्रैल से 23 मई के बीच दी गई जमानत का डाटा पेश किया। इसके तहत जमानत के लिए दाखिल हुए 294 मामलों में से केवल 79 मामलों में शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किए गए थे, जबकि 215 मामलों में कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था।
पीठ ने कहा कि इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि अधिकांश सत्र अदालतें अभियुक्तों की जमानत अर्जी पर सुनवाई से पहले शिकायतकर्ता को नोटिस जारी नहीं कर रही हैं। हाई कोर्ट में एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की मां की याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आरोपित को 5 मई को बिना उनका पक्ष सुने जमानत दे दी गई।