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मैगजीन कवर पर फोटो छपना गुजारा करने में सक्षम होने का सबूत नहीं' मॉडल पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश देते हुए जज ने की टिप्पणी

Delhi Husband and Wife Dispute दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए कहा कि एएसआइ कानूनन महिला का पति है और भरण-पोषण के लिए 17 हजार रुपए प्रति महीना देना होगा।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 09:26 AM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 09:26 AM (IST)
मैगजीन कवर पर फोटो छपना गुजारा करने में सक्षम होने का सबूत नहीं' मॉडल पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश देते हुए जज ने की टिप्पणी
एएसआइ ने कहा था कि उसकी पत्नी मॉडल है और वह अपना भरण पोषण कर सकती है।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। मैगजीन के कवर पन्ने पर कुछ फोटो छपने का यह मतलब नहीं है कि इससे कोई इतना कमा लेता है कि अपना भरण-पोषण कर सके। ऐसा कोई साक्ष्य अदालत के समक्ष नहीं पेश किया गया कि महिला अपना भरण-पोषण करने में सक्षम है। आर्थिक सहायता कर पत्नी का भरण-पोषण करना पति का कर्तव्य है। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए कहा कि एएसआइ कानूनन महिला का पति है और भरण-पोषण के लिए 17 हजार रुपए प्रति महीना देना होगा। पीठ ने इस बाबत पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखा है।

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बता दें कि एएसआइ ने पारिवारिक न्यायलय के आदेश को चुनौती देते हुए दलील दी थी कि उसकी पत्नी मॉडल है और वह अपना भरण पोषण कर सकती है। हालांकि, पीठ ने दलील को ठुकराते हुए कहा कि एएसआइ 50 हजार रुपए प्रति महीने कमाता है और खेती से भी उसे आय होती है। इतना ही उसके दोनों बेटे कमा रहे हैं और उनकी जिम्मेदारी भी एएसआइ के पास नहीं है, लेकिन पति होने के नाते अलग रह रही पत्नी की देखभाल करना उसकी नैतिक जिम्मेदारी है। ऐसे में पत्नी को 17 हजार रुपए प्रति महीने दे।

यह है पूरा मामला

दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार याची व महिला की 1985 में शादी हुई थी और वर्ष 2012 से दोनों अलग-अलग रह रहे हैं। महिला का आरोप था कि याची ने उनके साथ बुरा बर्ताव करते हुए घर से बाहर निकाल दिया था। महिला ने भरण-पोषण देने की मांग की थी। हालांकि, याची ने पत्नी के आरोपों से इन्कार किया था और कहा था कि वह जागरण व टेलीविजन सीरीज और सीरियल में काम करके इतना कमा लेती है कि अपना भरण-पोषण कर सके। इस पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने पति को 17, 000 रुपये महीना देने का निर्देश दिया है।


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