Delhi High Court News: कारण बताओ नोटिस पर जवाब दाखिल करने का करदाताओं को कानूनी अधिकार
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है क्योंकि याचिकाकर्ता कोरोना की वजह से कारण बताओ नोटिस और मसौदा मूल्यांकन आदेश का जवाब नहीं दे सका था।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी। निर्धारित समयसीमा में जवाब नहीं दाखिल करने पर जारी मूल्यांकन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नेशनल फेसलेस असेसमेंट सेंटर (एनएफएसी) को नया मूल्यांकन आदेश दिया है। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि करदाताओं को कारण बताओ नोटिस और मसौदा मूल्यांकन आदेश पर जवाब दाखिल करने का एक स्वतंत्र वैधानिक अधिकार है।
याची के चार्टर्ड एकाउंटेंट ने इस संबंध में एक हलफनामा भी दायर किया था कि अहम रिकार्ड उसके कार्यालय में थे और कोरोना के कारण हुई तालाबंदी के चलते वह आफिस जाने में असमर्थ था।
याचिका के अनुसार निर्धारण अधिकारी ने 22 अप्रैल 2021 को कारण बताओ नोटिस और मसौदा मूल्यांकन आदेश पर आपत्तियां दर्ज करने की समय सीमा 26 अप्रैल 2021 से बढ़ाकर 17 मई 2021 कर दी थी। वहीं, याचिकाकर्ता ने दलील दी कि कोरोना के कारण 19 अप्रैल 2021 को दिल्ली में तालाबंदी होने के कारण वह जवाब नहीं दाखिल कर सका था।
उन्होंने जोर देकर कहा कि महामारी के कारण लागिन क्रेडेंशियल और सामग्री दस्तावेजों तक पहुंच की अनुपलब्धता के कारण वह ना तो आपत्तियां दर्ज करा सका और ना ही एनएफएसी के समक्ष रिकार्ड और दस्तावेज पेश कर सका।
उन्होंने कहा कि एनएफएसी को याचिकाकर्ता को जवाब दाखिल करने के लिए और समय देना चाहिए था।वहीं, विभाग ने दलील दी कि करदाता के पास आयकर आयुक्त (अपील) के समक्ष अपील दायर करने का एक वैकल्पिक प्रभावी उपाय है।
करदाता ने इस तथ्य को छिपाया है कि उसने कारण बताओ नोटिस और मसौदा निर्धारण आदेश का जवाब दाखिल नहीं किया। इतना ही नहीं नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का कोई उल्लंघन नहीं हुआ क्योंकि याचिकाकर्ता ने पहले पांच से अधिक मौकों पर जवाब दाखिल किया था।