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Coronavirus Vaccination Drive: दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी- दवा के लिए बुजुर्गों पर देश के भविष्य को देनी पड़ेगी तरजीह

Coronavirus Vaccination Drive अदालत की इस टिप्पणी का भारतीय संस्कृति व जीवन शैली में भले ही कोई स्थान न हो लेकिन विषम परिस्थितियों में की गई इन टिप्पणियाें ने राष्ट्रीय स्तर पर नए विमर्श को जन्म दे दिया है

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 10:45 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 10:45 AM (IST)
Coronavirus Vaccination Drive: दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी- दवा के लिए बुजुर्गों पर देश के भविष्य को देनी पड़ेगी तरजीह
Coronavirus Vaccination Drive: दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी- दवा के लिए बुजुर्गों पर देश के भविष्य देनी पड़ेगी तरजीह

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। फंगस की दवा की कमी को देखते हुए बुजुर्गों पर देश के भविष्य यानी युवाओं को तरजीह देने की दिल्ली हाई कोर्ट ने वकालत की है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि कई युवा अपनी जिंदगी गवां चुके हैं। पीठ ने सवाल उठाया कि क्या 80 वर्षीय बुजुर्ग देश को आगे ले जाएगा। उन्होंने अपनी जिंदगी जी ली, आदर्श स्थिति के हिसाब से तो हमें सभी की जिंदगी बचानी चाहिए, लेकिन हमें इस स्थिति में एक काे चुनना होगा। हमें युवा लोगों को बचाना होगा। अदालत की इस टिप्पणी का भारतीय संस्कृति व जीवन शैली में भले ही कोई स्थान न हो, लेकिन विषम परिस्थितियों में की गई इन टिप्पणियाें ने राष्ट्रीय स्तर पर नए विमर्श को जन्म दे दिया है। पीठ ने कहा हमने अखबारों में पढ़ा था कि पिछले वर्ष जब इटली में बेड की कमी हुई तो उन्होंने यह फैसला लिया था कि बुजुर्गों पर युवाओं को तरजीह दी जाएगी। पीठ ने कहा कि अगर दूसरे देश फैसला ले सकते हैं, तो केंद्र सरकार क्यों निर्णय नहीं ले रही है।

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इन टिप्पणियों के साथ पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि एक नीति तैयार कर शुक्रवार को रिपोर्ट पेश करें। पीठ ने कहा कि बड़ी संख्या में मौते हो रही हैं और तमाम प्रयास के बावजूद भी देश में दवा की भारी कमी है। साथ ही भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) काे कहा कि यह उचित समय है कि एंफोटेरिसिन-बी को लेकर एक दिशानिर्देश जारी करें। हालांकि, केंद्र उन लोगों के लिए नीति में एक अपवाद बना सकता है जो उच्च पदों पर देश की सेवा कर रहे हैं और उनकी सुरक्षा महत्वपूर्ण है। फंगस की कमी के मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार की तरफ से पेश की गई दलीलों पर पीठ ने उक्त टिप्पणी की।

नीति बनाएं, ताकि बचा सकें कुछ जिंदगियां

पीठ ने कहा आंकड़ों के हिसाब से फंगस की दवा की 66 फीसद कमी है। अगर, मरीज को दवा नहीं मिल रही है तो केंद्र सरकार को चिकित्सा विशेषज्ञों के सुझाव से मरीजों की प्राथमिकता की एक नीति बनानी होगी ताकि कुछ जिंदगियां बच सकें। पीठ ने कहा कि देश के भविष्य को पुरानी पीढ़ी पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिसने अपना जीवन जी लिया है और उन पर अन्य निर्भर नहीं हो सकते हैं। हालांकि, पीठ ने कहा कि हम एक पल के लिए भी बुजुर्गों के प्रति उस भावनात्मक समर्थन को कम नहीं कर रहे हैं, जो पुरानी पीढ़ी विशेष रूप से भारतीय परिवारों को प्रदान करती है। हालांकि, ऐसे समय में कठिन चुनाव करना पड़ता है और यह राज्य द्वारा किया जाना चाहिए।

कई देशों से दवा मंगाने की कर रहे कोशिश: केंद्र सरकार

केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता कीर्तिमान सिंह ने पीठ को बताया कि एंफोटेरिसिन-बी का उत्पादन 62 हजार से बढ़ाकर जून तक 3.25 लाख हो गया है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा 2.30 लाख शीशियां अन्य देशों से मंगाई जा रही है। उन्होंने कहा कि अभी इन कंपनियों के नाम नहीं बता सकते। जर्मनी की कुछ कंपनियों ने कहा है कि वे आपूर्ति करेंगी। इसके अलावा बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीनिया की कंपनियों ने आपूर्ति की बात की है। वहीं रूस की प्रतिक्रिया अभी आनी बाकी है। इस पर पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आप मजाक कर रहे हैं। आपको अब तक यह भी नहीं पता कि आपूर्ति वाली दवा का आंकड़ा क्या है। पीठ ने केंद्र से पूछा कि एक सप्ताह हो गया अब आप बताइए 2.30 लाख में से कितनी दवाएं भारत कब पहुंच रही हैं। इसके जवाब में केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा कई देशों से मंगाई गई है और अन्य देशों से प्रयास जारी है।


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