नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। पेड़ों के संरक्षण के लिए सामुदायिक भागीदारी का आह्वान करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जनता पर्यावरण संरक्षण में जन भागीदारी करें तो चमत्कार हो सकता है। न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पीठ ने इसके साथ ही भूमि-स्वामित्व वाली एजेंसियों को पेड़ों के पोषण और संरक्षण में आरडब्ल्यूए और नागरिक समूहों को शामिल करने पर विचार करने को कहा।
याचिकाकर्ता अपर्णा भट की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि इससे सरकारी एजेंसियों के प्रयासों को काफी बढ़ावा मिलेगा और सकारात्मक परिणाम जल्द ही दिखाई देने की संभावना है।पीठ ने उक्त टिप्पणी तब जब याचिका पर डीएनडी फ्लाईओवर के किनारे पेड़ लगाने की स्थिति से अवगत कराया गया।यह भी बताया गया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा दिल्ली सरकार के वन विभाग के समन्वय से एक सर्वेक्षण किया गया।पीठ को सूचित किया गया कि कुछ क्षेत्रों की पहचान की गई है और अगले कुछ दिनों में सात हजार पौधे लगाने के लिए काम शुरू होगा।
यह भी बताया गया कि हजारों मवेशी डीडीए के प्रबंधन वाले वन भूमि या हरी-भरी भूमि के अंदर तैनात हैं।इस पर पीठ ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को आवारा मवेशियों को जब्त करने की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।पीठ ने कहा कि बगीचे के आसपास टहलने से शांति और ताजी हवा मिलती है। यदि भूमि कायाकल्प गतिविधि को सही तरीके से करने का प्रयास किया जाता है, तो निर्दिष्ट वन भूमि हरी होगी।
पीठ ने कहा कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2004 में 864 हेक्टेयर भूमि दिल्ली सरकार को हरित रूप में बनाए रखने के लिए सौंपी गई थी।पीठ ने इसके साथ ही निदेशक (बागवानी) डीडीए, उपायुक्त उत्तर दिल्ली नगर निगम और डीसीपी संबंधित उप वन संरक्षक वन विभाग को आपस में समन्वय स्थापित करके काम करने निर्देश दिया।मामले में आगे की सुनवाई 19 मई को होगी।
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