राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति सहित वीवीआइपी के वाहनों को लेना होगा रजिस्ट्रेशन नंबर
दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि अब राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, गवर्नर जैसे प्रमुख संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की गाड़िया को रजिस्ट्रेशन नंबर लेना होगा।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राजधानी की सड़कों पर चलने वाले प्रत्येक वाहन का मोटर व्हीकल एक्ट के तहत पंजीकरण होना चाहिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने इस बाबत केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर कहा है कि वे राजधानी में चलने वाले हर सरकारी वाहन का पंजीकरण सुनिश्चित करें।
पीठ ने यह आदेश गैर सरकारी संगठन की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें याची ने मांग की थी कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, उपराज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के वाहनों का भी पंजीकरण होना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि सभी को अपने वाहनों का रजिस्ट्रेशन नंबर लेना होगा और सभी सरकारी गाड़ियों पर स्पष्ट रूप से रजिस्ट्रेशन नंबर प्रदर्शित होना चाहिए।
पीठ ने इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। इस संबंध में पूर्व में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल करके बताया था कि उसने इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन करने के लिए संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा है।
बता दें कि दिसंबर 2017 में गैर सरकारी संगठन न्यायभूमि के सचिव राकेश अग्रवाल की तरफ से दायर जनहित याचिका में दावा किया गया था कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल एवं उपराज्यपाल की गाड़ियों पर रजिस्ट्रेशन नंबर के बजाय प्रतीक चिह्न होता है। ऐसे में बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है कि विशिष्ट व्यक्ति किस गाड़ी में मौजूद है।
आतंकवादी या बदमाश बना सकते हैं निशाना
गैर सरकारी संगठन न्यायभूमि के सचिव राकेश अग्रवाल ने इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में दावा किया गया था कि पंजीकरण नंबर की जगह अशोक स्तंभ लगे वाहनों पर लोगों का ध्यान जल्दी चला जाता है। इन वाहनों को आतंकवादी या बदमाश आसानी से निशाना बना सकते हैं। यही नहीं, इन वाहनों से हुई दुर्घटना के बाद पीड़ित मुआवजा से वंचित रह जाता है क्योंकि हादसे का कारण बनने वाले वाहन की कोई पहचान नहीं है।