नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आगामी 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाने के लिए आगरा के किले में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने से इन्कार करने के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एएसआई से जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने साथ ही याचिकाकर्ता संगठन से कहा कि वह इस संबंध में निर्देश लें कि क्या महाराष्ट्र सरकार कार्यक्रम का सह-प्रायोजक हो सकती है। मामले में अगली सुनवाई छह जनवरी को होगी। आरआर पाटिल फाउंडेशन नाम की संस्था ने याचिका दायर कर कहा कि एएसआइ ने अनुमति देने से इन्कार करने के पीछे बिना कोई कारण बताए आवेदन को खारिज कर दिया।

सुनवाई के दौरान एएसआइ ने पीठ को सूचित किया कि परिसर के अंदर गैर सरकारी संगठन को कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर महाराष्ट्र सरकार इसमें शामिल है तो इस पर विचार किया जा सकता है।

इस पर संस्था की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कार्यक्रम आयोजन के संबंध में महाराष्ट्र सरकार द्वारा लिखे गए पत्र का हवाला दिया। अदालत ने इस पर राव को कहा कि अगली सुनवाई पर पता करके बताएं कि क्या कार्यक्रम को महाराष्ट्र सरकार द्वारा आयोजित या स्पान्सर्ड किया जा सकता है।

याचिका में कहा गया कि फाउंडेशन के साथ-साथ महाराष्ट्र के लोग भावनात्मक रूप से आगरा के किले से जुड़े हुए हैं।यहां छत्रपति शिवाजी को उनके सात पुत्रों के साथ कैद कर लिया गया था और मुगल बादशाह औरंगजेब ने बंदी बना लिया था। याचिका में कहा गया कि इससे पूर्व किले के परिसर में कुछ सार्वजनिक समारोह आयोजित किए गए हैं।

इनमें वास्तुकला के आगा खान पुरस्कार से संबंधित एक समारोह शामिल था। याचिका में तर्क दिया गया कि एएसआइ द्वारा अनुमति देने से इन्कार करना संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करती है। जोकि, देश में कहीं भी राष्ट्रीय हस्तियों और प्रतीकों की विरासत और सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने की स्वतंत्रता से संबंधित है। याचिकाकर्ता संगठन ने आगामी 19 फरवरी को कार्यक्रम की अनुमति देने के संबंध में एएसआई को निर्देश देने का अनुरोध किया है।

Edited By: Geetarjun