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Delhi: गलत बयान देने पर BSF जवान को बर्खास्त करने के फैसले को हाई कोर्ट ने बताया सही, जानिए पूरा मामला

Delhi HC BSF Jawan किशोरावस्था में किए गए अपराध की जानकारी नियुक्ति के दौरान छुपाने व गलत बयान देने के लिए जवान अनिल कुमार को बर्खास्त करने के निर्णय को दिल्ली हाई कोर्ट ने सही ठहराया है। बीएसएफ ने अदालत को बताया कि जवान में सही जानकारी बिल्कुल नहीं दी।

By Vineet TripathiEdited By: GeetarjunPublished: Fri, 30 Dec 2022 12:10 AM (IST)Updated: Fri, 30 Dec 2022 12:10 AM (IST)
Delhi: गलत बयान देने पर BSF जवान को बर्खास्त करने के फैसले को हाई कोर्ट ने बताया सही, जानिए पूरा मामला
गलत बयान देने पर BSF जवान को बर्खास्त करने के फैसले को हाई कोर्ट ने बताया सही, जानिए पूरा मामला

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। किशोरावस्था में किए गए अपराध की जानकारी नियुक्ति के दौरान छुपाने व गलत बयान देने के लिए जवान अनिल कुमार को बर्खास्त करने के निर्णय को दिल्ली हाई कोर्ट ने सही ठहराया है। याचिकाकर्ता के खिलाफ की गई कार्रवाई को उचित करार देते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व सौरभ बनर्जी की पीठ ने कहा कि कृत्य करने के दौरान वह भले ही नाबालिग था, लेकिन बीएसएफ में सेवा देते हुए उसने गलत बयान देने का काम किया था। ऐसे में बीएसएफ ने उसे दोषी ठहराकर सही किया है।

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याचिका के अनुसार, अनिल कुमार ने नियुक्त के दौरान एफआइआर के संबंध में जानकारी नहीं दी थी और प्रशिक्षण लिया था।सत्यापन के दौरान एफआइआर के बारे में पता चलने पर बीएसएफ ने चार फरवरी 2012 को अनिल कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। अनिल कुमार की तरफ से इसका संतोषजनक जवाब नहीं मिलने बीएसएफ ने आठ फरवरी 2012 को याची को पेंशन की सुविधा के बिना नौकरी से बर्खास्त कर दिया।

2016 में भी खारिज हुई अपील

अनिल कुमार ने इस निर्णय को अपीलीय प्राधिकरण में चुनौती दी थी, इस अपील को भी सात अप्रैल 2016 को खारिज कर दिया गया। अनिल कुमार ने इस निर्णय को अदालत में चुनौती देते हुए कहा कि घटना के संबंध में हुई एफआइआर के समय वह नाबालिग था और पूरा मामला जुविनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष सुना गया था।

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बीएसएफ ने अदालत में दी ये दलील

वहीं, बीएसएफ ने अदालत में दलील दी थी कि याचिककार्ता ने न सिर्फ शुरूआती समय में एफआइआर के संबंध में सूचना नहीं देकर सही जानकारी को छुपाया, बल्कि कारण बताओ नोटिस का भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया। ऐसे में याचिकाकर्ता बीएसएफ का एक कुशल सदस्य नहीं बन सकता। उक्त पहलुओं को देखते हुए याचिकाकर्ता को पेंशन लाभ के बगैर सेवा से बर्खास्त कर दिया। बीएसएफ ने यह भी तर्क दिया कि इससे जुड़ी याचिकाकर्ता की अपील व पुनरीक्षण याचिका पहले ही खारिज की जा चुकी है।

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