नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और वैकल्पिक और अभिनव शिक्षा (एआईई) केंद्रों के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को मध्याह्न भोजन तैयार करने और आपूर्ति करने से जुड़ी निविदा को चुनौती देने वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया।

याचिका में आरोप लगाया गया था कि दिल्ली सरकार ने निर्धारित निविदा शर्तों को चुनिंदा लोगों के अनुकूल तैयार किया है। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि निविदा में लगाई गई शर्तों को मनमाना या कुछ चुनिंदा लोगों के अनुकूल नहीं कहा जा सकता है।

सरकार के अधिकार को बाधित नहीं कर सकते

पीठ ने कहा कि राज्य और उसके उपकरणों को निजी पार्टियों के साथ अनुबंध करते समय निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए, लेकिन अदालत निविदा की शर्तों को निर्धारित करने में सरकार के अधिकार को बाधित नहीं कर सकती है।

ऐसे में अदालत को तभी हस्तक्षेप करना चाहिए जब शर्तें मनमानी, भेदभावपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण या पूर्वाग्रह से प्रेरित हों। निजी कंपनी मेहंदीराम फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने याचिका दायर कर दिल्ली सरकार द्वारा 19 सितंबर 2022 को जारी किए गए प्रस्ताव के अनुरोध में निविदा शर्तों को रद करने की मांग की गई थी।

याचिका में कहा गया कि निविदा में भाग लेने की इच्छुक होने के कारण प्री-बिडिंग बैठक में शामिल हुई थी। इसमें उन्होंने दो खंडों के प्रस्ताव का मुद्दा उठाया था। शर्तों में से एक में कहा गया है कि निविदा में आवेदन करने वाले संगठन के पास या तो भोजन परोसने के लिए एक मौजूदा रसोई घर होना चाहिए या वह कार्य आदेश की तारीख से 45 दिनों के भीतर एक प्रस्तावित रसोई स्थापित करने में सक्षम होना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि ये शर्तें उन लोगों को बाहर कर देती हैं जिनके पास कोई चालू अनुबंध या व्यवसाय नहीं है। यह भी तर्क दिया कि शर्तें किसी भी नए खिलाड़ी को प्रवेश करने से रोकती हैं और मौजूदा संस्थाओं के पक्ष में तैयार की जाती हैं।

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Edited By: Abhishek Tiwari