Delhi HC ने महिला के गर्भपात की याचिका पर AIIMS को दिया जांच का आदेश, ये है मामला
हाई कोर्ट ने AIIMS को एक मेडिकल बोर्ड बनाकर 25 सप्ताह की गर्भवती महिला के भ्रूण की जांच करने का निर्देश दिया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। दिल्ली हाई कोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को एक मेडिकल बोर्ड बनाकर 25 सप्ताह की गर्भवती महिला के भ्रूण की जांच करने का निर्देश दिया है। दरअसल एक महिला ने भ्रूण गिराने के लिए कोर्ट से अनुमति मांगी है। याचिकाकर्ता का कहना है कि उसके गर्भ में जो बच्चा पल रहा है वह किडनी की बीमारी से पीड़ित है जो पैदा होने के बाद ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह सकता।
महिला ने अपनी दलील में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी है, जो गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद गर्भपात पर रोक लगाती है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने एम्स को चार सदस्यीय बोर्ड गठित करने का आदेश देते हुए कहा कि भ्रूण और मां के स्वास्थ्य की जांच करें और नौ जुलाई से पहले अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौपे। मेडिकल बोर्ड यह बताएं कि क्या गर्भपात कराना जरुरी है।
वकील स्नेहा मुखर्जी के माध्यम से दाखिल गई याचिका में कहा गया है कि धारा 3 (2) (बी) के तहत बीस सप्ताह के बाद भी गर्भपात कराने की अनुमति दी जा सकती है क्योंकि पहले की तुलना में आधुनिक तकनीक ज्यादा कारगर है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसे बीस सप्ताह के बाद भी गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए ताकि उसको (याचिकाकर्ता) को कोई दिक्कत न हो।
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