Delhi Riots 2020: शरजील इमाम को नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत, UAPA मामले में जल्द सुनवाई से किया इनकार
Delhi Riots 2020 Case में यूएपीए की धाराएं झेल रहे जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को बुधवार को हाईकोर्ट से निराशा हाथ लगी। शरजील इमाम ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपनी बेल याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी जिससे अदालत ने इनकार कर दिया। शरजील इमाम 2020 से ही जेल में बंद हैं और इसी का हवाला उनके वकील ने दलीलों में दिया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने वर्ष 2020 में दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के पीछे साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम की जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामला पहले ही सात अक्टूबर को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, इसलिए तारीख आगे बढ़ाने का कोई आधार नहीं है।
न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया ने कहा कि हर दिन अदालत के समक्ष 80 से अधिक मामले सूचीबद्ध होते हैं और इमाम की अपील अन्य सह-आरोपितों की इसी तरह की अपीलों के साथ अगले माह ही एक निश्चित समय पर सूचीबद्ध की गई है।
पीठ ने आवेदन खारिज करते हुए कहा कि चूंकि अपील सात अक्टूबर को दोपहर 3.15 बजे अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, इसलिए तारीख को आगे बढ़ाने का कोई आधार नहीं है।
शरजील ने दिए थे ये तर्क
इमाम ने शीघ्र सुनवाई की मांग करते हुए अपने आवेदन में कहा कि वर्ष 2022 में नोटिस जारी होने के बाद उनकी याचिका को हाई कोर्ट की सात अलग-अलग खंडपीठों के समक्ष कम से कम 62 बार सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
इमाम, उमर खालिद और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दंगों के मास्टरमाइंड होने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के प्रविधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
इमाम के अधिवक्ता ने दलील दी कि उनके मुवक्किल की जमानत याचिका खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी अपील 28 माह से लंबित है और मामले को कई बार सूचीबद्ध किए जाने के बावजूद, यह अपने निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है।
हर बार सुनवाई का नया चक्र शुरू हो जाता है
आवेदन में कहा गया है कि रोस्टर परिवर्तन, सुनवाई से अलग होने और न्यायाधीशों के स्थानांतरण के कारण पीठों की संरचना में लगातार बदलाव के कारण मामले की सुनवाई कभी समाप्त नहीं हुई और इस तरह हर बार सुनवाई का नया चक्र शुरू हो गया।
याचिका में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि इस मामले में मुकदमा वर्ष 2020 से विशेष अदालत के समक्ष लंबित है, लेकिन जांच अभी भी जारी है और अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं।