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सभी बच्चों को समान पाठ्यक्रम मुद्दे पर दिल्ली HC में आज जवाब देगा केंद्र

देशभर में बच्चों को समान पाठ्यक्रम उपलब्ध करवाने से संबंधित एक याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। केंद्र सरकार को आज इस मुद्दे पर जवाब देना है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 08:05 AM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 08:28 AM (IST)
सभी बच्चों को समान पाठ्यक्रम मुद्दे पर दिल्ली HC में आज जवाब देगा केंद्र

नई दिल्ली (जेएनएन)। देशभर में बच्चों को समान पाठ्यक्रम उपलब्ध करवाने से संबंधित एक याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। केंद्र सरकार को आज इस मुद्दे पर जवाब देना है। इस याचिका में केंद्र सरकार को छह से 14 साल के सभी बच्चों को समान पाठयक्रम से पढ़ाई करवाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाबी हलफनामा (affidavit) जमा करने को कहा था। बेंच ने कहा था कि वे नोटिस जारी कर रहे हैं। केंद्र दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करें। इस मामले की सुनवाई आज होगी।

यह थी याचिकाकर्ता की दलील?

अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर इस पेटीशन में केंद्र को छह से 14 साल के बच्चों के लिए पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा तथा समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद विषय पर प्रामाणिक पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करवाने तथा ऐसी मानक किताबें देने का निर्देश देने को कहा गया है, जिनमें मूलभूत अधिकारों, मूलभूत कर्तव्यों, निर्देशात्मक सिद्धांतों और प्रस्तावना में निर्धारित किए गए स्वर्णिम लक्ष्यों पर आधारित पाठ हों। उन्होंने ऐसे दावे किए हैं कि संविधान की धारा 21ए के तहत वर्तमान शिक्षा प्रणाली विसंगतिपूर्ण है।

क्या है याचिका में

याचिका कहा गया है कि बच्चों के अधिकारों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा तक सीमित नहीं करना चाहिए, बल्कि बच्चों के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आधार पर भेदभाव किए बगैर गुणवत्ता योग्य शिक्षा उपलब्ध करवाने तक इसका विस्तार किया जाना चाहिए।

याचिका में इस बात की भी मांग की गई है कि शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। याचिका में इसका भी जिक्र है कि समान शिक्षा प्रणाली धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर होने वाले भेदभाव को खत्म करेगी और संविधान में निर्धारित अवसरों और दर्जे की समानता को लागू करेगी।


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