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2G केस: देरी से जवाब पर HC ने सुनाई अनोखी सजा, 'दिल्ली में लगाओ 15000 पेड़'

दिल्ली हाई कोर्ट ( Delhi High Court) ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में आरोपितों के समय पर जवाब दाखिल नहीं करने पर सुनवाई के दौरान नाराजगी जताई है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 01:56 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 03:06 PM (IST)
2G केस: देरी से जवाब पर HC ने सुनाई अनोखी सजा, 'दिल्ली में लगाओ 15000 पेड़'
2G केस: देरी से जवाब पर HC ने सुनाई अनोखी सजा, 'दिल्ली में लगाओ 15000 पेड़'

नई दिल्ली, जेेएनएन। दिल्ली हाई कोर्ट ( Delhi High Court) ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में आरोपितों के समय पर जवाब दाखिल नहीं करने पर सुनवाई के दौरान नाराजगी जताई है। बृृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान नाराज दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाब देने पर देरी पर सजा सुनाते हुए सभी आरोपितों से कहा कि वे दक्षिण दिल्ली के रिज एरिया में 15 हजार पेड़ लगाएं।

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यहां पर बता दें कि कोर्ट ने जिन आरोपितों को पेड़ लगाने की सजा सुनाई है, उनमें इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि की बेटी और राज्यसभा सांसद कनिमोझी शामिल नहीं हैं।

यहां पर बता दें कि देश के सबसे बड़े 2जी घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने दिसंबर, 2018 में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। जज ने एक लाइन में अपना फैसला सुनाया था। जज ओ. पी. सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में नाकाम रहा।

क्या है 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला?

2010 में आई एक सीएजी रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल उठाए गए थे। इसमें बताया गया था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाए 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर इसे बांटा गया था। इससे सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इसमें इस बात का जिक्र था कि नीलामी के आधार पर लाइसेंस बांटे जाते तो यह रकम सरकार के खजाने में जाती। दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विशेष अदालत बनाने पर विचार करने को कहा था।

 

2011 में पहली बार स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आने के बाद अदालत ने इसमें 17 आरोपियों को शुरुआती दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई थी। इस घोटाले से जुड़े केस में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रविकांत रुइया, अंशुमान रुइया, लूप टेलिकॉम के प्रमोटर किरण खेतान उनके पति आई पी खेतान और एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास सरफ भी आरोपी हैं।

जानिए 2 जी घोटाले में कब क्या हुआ

16 मई 2007: डीएमके नेता ए राजा को दूसरी बार दूरसंचार मंत्री नियुक्त किया गया।

 25 अक्तूबर 2007: केंद्र सरकार ने मोबाइल सेवाओं के लिए टू-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की संभावनाओं को खारिज किया।

 सितम्बर-अक्तूबर 2008: दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम लाइसेंस दिए गए।

 15 नवंबर 2008: केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में खामियां पाईं और दूरसंचार मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की।

 21 अक्तूबर 2009: सीबीआई ने टू-जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए मामला दर्ज किया।

 22 अक्तूबर 2009: मामले के सिलसिले में सीबीआई ने दूरसंचार विभाग के कार्यालयों पर छापेमारी की।

 17 अक्तूबर 2010: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने दूसरी पीढ़ी के मोबाइल फोन का लाइसेंस देने में दूरसंचार विभाग को कई नीतियों के उल्लंघन का दोषी पाया।

 नवंबर 2010: दूरसंचार मंत्री ए राजा को हटाने की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्यवाही ठप की।

 14 नवम्बर 2010: राजा ने इस्तीफा दिया।

 15 नवम्बर 2010: मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।

 नवम्बर 2010: टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग को लेकर संसद में गतिरोध जारी रहा।

 13 दिसम्बर 2010: दूरसंचार विभाग ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराज वी पाटिल समिति को स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों एवं नीतियों को देखने के लिए अधिसूचित किया. इसे दूरसंचार मंत्री को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया।

 24 और 25 दिसम्बर 2010: राजा से सीबीआई ने पूछताछ की।

 31 जनवरी 2011: राजा से सीबीआई ने तीसरी बार फिर पूछताछ की। एक सदस्यीय पाटिल समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।

 2 फरवरी 2011: टू-जी स्पेक्ट्रम मामले में राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।

 21 दिसबंर 2017: पटियाला हाउस कोर्ट स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सभी आरोपीयों को बरी किया

टूजी से जुड़े सीबीआइ के एक मुकदमे के आरोपी

1. ए. राजा : पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री और डीएमके नेता ए. राजा पर आरोप था कि इन्होंने नियम कायदों को दरकिनार कर टूजी स्पेक्ट्रम की नीलामी की। सीबीआइ के अनुसार, राजा ने वर्ष 2008 में वर्ष 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेचा और पैसे लेकर गलत ढंग से अपनी पसंदीदा कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटित किया। राजा को इस मामले में पहले तो मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार हुए थे और जेल भी जाना पड़ा था। 15 महीने के बाद इन्हें जमानत मिली।

2. कनिमोझी : डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि की बेटी एवं तत्कालीन राज्यसभा सदस्य कनिमोझी पर आरोप था कि इन्होंने अपने टीवी चैनल कलैगनार टीवी के लिए 200 करोड़ रुपये की रिश्वत स्वान टेलिकॉम के महाप्रबंधक शाहिद बलवा से ली और बदले में बलवा की कंपनियों को ए. राजा ने गलत ढंग से स्पेक्ट्रम दिलाया।

3. शरद कुमार : कलैगनार टीवी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुमार पर कनिमोझी के साथ मिलकर घोटाले में शामिल होने का आरोप था।

4. सिद्धार्थ बेहुरा : ए. राजा के दूरसंचार सचिव थे। इन पर राजा के साथ मिलकर घोटाले में काम करने और उनकी मदद करने का आरोप था। बेहुरा भी ए .राजा के साथ ही 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार हुए थे।

5. आरके चंदोलिया : ए. राजा के पूर्व निजी सचिव पर आरोप था कि इन्होंने राजा के साथ मिलकर कुछ ऐसी निजी कंपनियों को लाभ दिलाने के लिए षड्यंत्र किया जो इस लायक नहीं थीं। चंदोलिया भी बेहुरा और राजा के साथ ही 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार हुए थे।

6. शाहिद उस्मान बलवा : स्वान टेलिकॉम के महाप्रबंधक बलवा पर सीबीआइ का आरोप ये था कि उनकी कंपनियों को जायज से कहीं कम दामों पर स्पेक्ट्रम आवंटित हुआ। बलवा को 8 फरवरी 2011 को जेल भेजा गया था।

7. विनोद गोयनका : स्वान टेलिकॉम के निदेशक पर सीबीआइ ने आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने साझीदार शाहिद बलवा के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र में भाग लिया था।

8. स्वान टेलिकॉम : वर्तमान में एतिसालात डीबी टेलीकॉम।

9. आसिफ बलवा : शाहिद बलवा के भाई कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजीटेबल (वर्तमान में कुसगांव रियलिटी) में 50 फीसद के हिस्सेदार थे। राजीव अग्रवाल के साथ आसिफ बलवा को भी 29 मई 2011 को गिरफ्तार किया गया था।

10. करीम मोरानी : सिनेयुग फिल्म्स (वर्तमान में सिनेयुग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट) के निदेशक मोरानी पर आरोप था कि उन्होंने कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल (वर्तमान में कुसगांव रियलिटी) से 200 करोड़ रुपये लिए और कनिमोझी को 200 करोड़ रुपये रिश्वत दी, ताकि शाहिद बलवा की कंपनियों को गलत ढंग से स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिया जाए।

11. राजीव अग्रवाल: कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल (वर्तमान में कुसगांव रियलिटी) के निदेशक अग्रवाल पर आरोप था कि उनकी कंपनी से 200 करोड़ रुपये रिश्वत के लिए करीम मोरानी की कंपनी सिनेयुग फिल्म्स (वर्तमान में सिनेयुग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट) को दिए गए जहां से यह धनराशि कनिमोरी तक पहुंचाई गई। राजीव अग्रवाल को 29 मई 2011 को गिरफ्तार किया गया था।

12. संजय चंद्रा : यूनिटेक के पूर्व महाप्रबंधक चंद्रा की कंपनी भी सीबीआइ के अनुसार, घोटाले के बड़े लाभार्थियों में से एक थी। स्पेक्ट्रम लेने के बाद उनकी कंपनी ने स्पेक्ट्रम को विदेशी कंपनियों को ऊंचे दामों पर बेच दिया था और मोटा मुनाफा कमाया। चंद्रा को 20 अप्रैल 2011 को गिरफ्तार किया गया था।

13. यूनिटेक : यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) लिमिटेड पर घोटाले के बड़े लाभार्थियों में शामिल होने का आरोप था।

14-16. गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरी नायर : अनिल अंबानी समूह की कंपनियों के ये तीन शीर्ष अधिकारी थे। इन तीनों पर भी षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप था। इन तीनों अधिकारियों को 20 अप्रैल 2011 को जेल भेजा गया था।

17. रिलायंस टेलिकॉम: अनिल अंबानी समूह की कपंनी रिलायंस टेलिकॉम।

टूजी से जुड़े सीबीआइ के दूसरे मुकदमे के आरोपी

1. रविकांत रुइया, एस्सार समूह के प्रमोटर

2. अंशुमन रुइया, एस्सार समूह के प्रमोटर

3. विकास सर्राफ, निदेशक, एस्सार समूह

4. एस्सार टेलीहोल्डिंग

5. आइपी खेतान, लूप टेलिकॉम के प्रोमोटर

6. किरण खेतान, लूप टेलिकॉम की प्रोमोटर

7. लूप टेलिकॉम

8. लूप मोबाइल (इंडिया) लि.

टूजी से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुकदमे के आरोपी

1. ए. राजा, तत्कालीन केंद्रीय दूरसंचार मंत्री

2. शाहिद उस्मान बलवा, स्वान टेलिकॉम के महाप्रबंधक

3. विनोद गोयनका, स्वान टेलिकॉम के निदेशक

4. आसिफ बलवा, शाहिद बलवा के भाई, कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल (वर्तमान में कुसगांव रियलिटी) में 50 फीसद के हिस्सेदार

5. राजीव अग्रवाल, कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल (वर्तमान में कुसगांव रियलिटी) के निदेशक

6. करीम मोरानी, सिनेयुग फिल्म्स (वर्तमान में सिनेयुग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट) के निदेशक

7. शरद कुमार, कलैगनार टीवी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी

8. एमके दयालु अम्मल, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि की पत्नी

9. कनिमोरी, तत्कालीन राज्यसभा सदस्य

10. पी. अमृतम, कलैगनार टीवी के डायरेक्टर

11. एतिसालात डीबी टेलिकॉम (पूर्व में स्वान टेलिकॉम)

12. कुसगांव रियलिटी (पूर्व में कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स)

13. सिनेयुग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट (पूर्व में सिनेयुग फिल्म्स)

14. कलैगनार टीवी

15. डायनामिक्स रियलिटी

16. इवरस्माइल कंस्ट्रक्शन कंपनी

17. कॉनवुड कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर्स

18. डीबी रियलिटी

19. मिस्टिकल कंस्ट्रक्शन (पूर्व में निहार कंस्ट्रक्शन्स)

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