HC ने लगाई केंद्र को फटकार, फिर बिकेंगी Dcold-कोरेक्स जैसी 344 दवाएं
स्वास्थ्य मंत्रालय ने फिक्स डोज कॉम्बिनेशन वाली 344 दवाओं पर रोक लगा दी थी। इस फैसले के खिलाफ फार्मा कंपनियों की ओर से 454 याचिकाएं दायर की गई है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा फिक्स डोज कॉम्बिनेशन (FDC) वाली 344 दवाओं पर रोक लगाने के फैसले के खिलाफ फार्मा कंपनियों की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार की जमकर क्लास ली है। इसी के साथ डी-कोल्ड, कोरेक्स कफ सिरप और विक्स एक्शन 500 जैसी खांसी जुकाम बुखार की निश्चित खुराक वाली 344 दवाओं पर लगे प्रतिबंध को दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।
10 मार्च को स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन दवाओं पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगाया था कि इससे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। वहीं कोर्ट ने अपने फैसले में प्रतिबंध को ये कहते हुए केंद्र सरकार के फैसले को खारिज कर दिया कि इसका कोई क्लिनिक परीक्षण रिपेार्ट सरकार पेश नहीं कर पाई है। ये फैसला मनमाना है।
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यहां पर बता दें कि इसी साल की शुरुआत में फिक्स डोज कॉम्बिनेशन वाली 344 दवाओं पर रोक लगा दी थी। इस फैसले के खिलाफ फार्मा कंपनियों की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में 454 याचिकाएं दायर की गई हैं।
पिछले साल ही मार्च महीने में 300 से ज्यादा दवाओं के खिलाफ रोक लगाने के फैसले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टे दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में फाइजर की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के नोटिफिकेशन पर रोक भी लगा दी थी। कोर्ट ने कहा थी कि फाइजर के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई ना की जाए।
यहां पर बता दें कि सरकार ने 300 से ज्यादा दवाओं पर रोक लगाने का फैसला किया था। सरकार के फैसले से फाइजर, एबॉट, ग्लेनमार्क और वॉकहार्ट की दवाओं पर असर संभव था।
दरअसल सरकार ने फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) वाली दवाओं पर रोक लगाने का आदेश दिया था। फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन दवा, यानि दो या ज्यादा दवाओं को मिलाकर बनाई जाने वाली दवा होती है।
इन दवाओं की पावरफुल एंटीबायोटिक के कॉम्बिनेशन की तरह बिक्री होती है। देश में एफडीसी से हजारों दवाएं तैयार होती हैं और कई एफडीसी बिना मंजूरी के बनते हैं। एफडीसी से दर्द निवारक के लिए सबसे ज्यादा दवाएं बनती हैं।
हालांकि, ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल शरीर के लिए खतरनाक होता, इसलिए सरकार ने इन दवाओं पर रोक लगाने का फैसला किया था। ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर होता है और ये लीवर के लिए भी नुकसानदायक होता है।
एफडीसी से तैयार होने वाले एंटीबायोटिक के ज्यादा सेवन से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। खासकर आम डॉक्टर मरीजों को ऐसी दवाएं देते हैं और ये दवाएं दवा दुकानों पर आसानी से मिल जाती हैं। लेकिन कई देशों में ऐसी दवाओं पर रोक लगी हुई है।
सरकार ने फाइजर की कॉरेक्स और एबॉट की फेनेसिडिल पर रोक लगाई थी। सरकार ने जिन दवाओं पर रोक लगाने का फैसला किया था उनमें कफ सीरप भी शामिल हैं। इससे पहले भी सरकार 2007 में ऐसी दवाओं पर रोक लगाई थी। उस समय सरकार ने 294 दवाओं पर रोक लगाई थी, लेकिन उस समय भी कंपनियां अदालत गई थी।
यह थी सरकार की दलील
दिल्ली सरकार की दलील थी कि कई दवाओं को सीडीएससीओ से मंजूरी ही नहीं हैं और कंपनियां हानिकारण कॉम्बिनेशन के बावजूद धड़ाधड़ बिक्री करती हैं। कंपनियां एफडीसी कॉम्बिनेशन से कैप्सूल और कफ सिरप तैयार करती हैं। यही नहीं कंपनियां 1 राज्य में मंजूरी लेकर देशभर में ये दवाएं बेचती हैं।
साथ ही ड्रग कंट्रोलकर जनरल की मंजूरी के बिना दवा की बिक्री की जाती है। सरकार के दवाओं पर रोक लगाने के फैसले से कंपनियों की बिक्री पर 1500 करोड़ रुपये का असर पड़ने का अनुमान था।