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GNCTD संशोधन अधिनियम पर HC ने जारी किया नोटिस, केंद्र सरकार से पक्ष रखने के लिए कहा

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021 के प्रभावी होने के बाद दिल्ली में सरकार का मतलब उपराज्यपाल हो गया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना के मुताबिक अधिनियम के प्रावधान 27 अप्रैल से प्रभावी हैं।

By Jp YadavEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 12:24 PM (IST)Updated: Tue, 04 May 2021 12:31 PM (IST)
GNCTD संशोधन अधिनियम पर HC ने जारी किया नोटिस, केंद्र सरकार से पक्ष रखने के लिए कहा
दिल्ली HC ने GNCTD संशोधन अधिनियम के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र से पक्ष रखने के लिए कहा

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को अहम सुनवाई के दौरान दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम, 2021 के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र सरकार से अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। यहां पर बता दें कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम, 2021 के प्रभावी होने के बाद दिल्ली में 'सरकार' का मतलब उपराज्यपाल हो गया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना के मुताबिक अधिनियम के प्रावधान 27 अप्रैल से प्रभावी हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 4 जून को होगी। इसी दिन संभव है केंद्र सरकार अपना पक्ष रखे।

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गौरतलब है कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण से बिगड़ती स्थिति के बीच केंद्र सरकार ने 27 अप्रैल को ही दिल्ली में GNTCD कानून को अमल में लाने की अधिसूचना जारी कर दी थी। गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना में कहा गया है कि - 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2021, 27 अप्रैल से अधिसूचित किया जाता है। अब दिल्ली में सरकार का अर्थ उपराज्यपाल है।

गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन के हस्ताक्षर के साथ जारी अधिसूचना में कहा गया- दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 2021 (2021 का 15) की धारा एक की उपधारा -2 में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 27 अप्रैल 2021 से अधिनियम के प्रावधानों को लागू करती है।'

 कानून क्या कहता है?

 GNCTD संशोधन अधिनियम में उपराज्यपाल को आवश्यक रूप से संविधान के अनुच्छेद 239क के खंड 4 के अधीन सौंपी गई शक्ति का उपयोग करने का अवसर मामलों में चयनित प्रवर्ग में दिया जा सके। कानून के उद्देश्यों में कहा गया है कि उक्त कानून विधान मंडल और कार्यपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों का संवर्द्धन करेगा तथा निर्वाचित सरकार एवं राज्यपालों के उत्तरदायित्वों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के शासन की संवैधानिक योजना के अनुरूप परिभाषित करेगा।

इस कानून के प्रभावी होने के बाद दिल्ली सरकार को अब हर बड़े फैसले के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल की अनुमति लेनी होगी।


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