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Tis Hazari clash मामले की होगी न्यायिक जांच, झड़प में शामिल पुलिस अधिकारियों का ट्रांसफर का आदेश

दिल्ली हाई कोर्ट ने शनिवार को पुलिस और वकीलों के बीच हुए हिंसक झड़प का स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 02:04 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 09:27 PM (IST)
Tis Hazari clash मामले की होगी न्यायिक जांच, झड़प में शामिल पुलिस अधिकारियों का ट्रांसफर का आदेश
Tis Hazari clash मामले की होगी न्यायिक जांच, झड़प में शामिल पुलिस अधिकारियों का ट्रांसफर का आदेश

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। शनिवार को तीस हजारी अदालत परिसर में अधिवक्ताओं और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प व आगजनी मामले को दिल्ली हाई कोर्ट ने रविवार को स्तत: संज्ञान ले लिया। अवकाश होने के बावजूद मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की मुख्य पीठ सुनवाई के लिए बैठी। पुलिस और अधिवक्ताओं का पक्ष सुनने के बाद मुख्य पीठ ने मामले की न्यायिक जांच का आदेश देते हुए जांच पूरी होने तक विशेष आयुक्त (कानून-व्यवस्था, उत्तरी) संजय सिंह और अतिरिक्त उपायुक्त (उत्तरी) हरेंद्र कुमार सिंह का तबादला करने का पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को आदेश दिया।

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मुख्य पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एसपी गर्ग के नेतृत्व में की जांच करने के आदेश दिए। साथ ही पीठ ने कहा कि इस जांच में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ), इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) और विजिलेंस डायरेक्टर द्वारा नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिकारी जांच में मदद करेंगे। जांच को समयसीमा में बांधते हुए मुख्य पीठ ने कहा कि पूरी जांच छह सप्ताह में पूरी कर इसकी रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए और इसके बाद मामले में अगली सुनवाई की जाएगी।

अधिवक्ताओं से खचाखच भरे कोर्ट रूप में सुनवाई के बाद मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ), दिल्ली बार काउंसिल (डीबीसी), सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए), दिल्ली हाई कोर्ट बार ऐसोसिएशन (डीएचसीबीए) के पदाधिकारियों की तरफ से अपना पक्ष रखा गया है।

इसमें विशेष तौर पर अधिवक्ताओं के चैंबर में घुसकर तोड़फोड़ करने, अधिवक्ताओं पर फायरिंग और लाठीचार्ज करने, वकीलों पर रिपोर्ट दर्ज करने समेत अन्य बिंदुओं को रखा गया है। सभी ने एकजुट रूप से मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की। मुख्य पीठ ने कहा कि वहीं, दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए स्टैंडिंग काउंसिल राहुल मेहरा ने बताया है कि मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित कर दिया गया है। इसके अलावा राहुल मेहरा ने मामले से जुड़ी जानकारी दी। सभी पक्षों को सुनने के बाद मुख्य पीठ ने विभिन्न बिंदुओं पर अपना फैसला सुनाया।

रजिस्टार जनरल (बीसीआइ) ने बताया कि इससे पहले रविवार को मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्तियों के साथ बंद कमरे में बैठक की। इस बैठक में दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी और दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव भी मौजूद रहे। बैठक के बाद मुख्य न्यायमूर्ति ने एक बजे मामले की सुनवाई करने का फैसला किया।

एक बजे शुरू हुई सुनवाई में मुख्य न्यायमूर्ति ने कहा कि अखबारों में प्रकाशित खबरों को देखते हुए अदालत ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और इसकी विस्तृत सुनवाई के लिए केंद्र-दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, बीसीआइ, डीबीसी, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव व सभी जिला अदालतों के बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए 3 बजे का समय दिया। साथ ही घटना में शामिल रहे पुलिस अधिकारियों को भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहने को कहा।

पीड़ित अधिवक्ताओं का बयान रिकॉर्ड कर दर्ज करें रिपेार्ट

मुख्य पीठ ने पुलिस आयुक्त को आदेश दिया कि घटना में घायल हुए अधिवक्ता विजय वर्मा, अधिवक्ता पंकज दुबे और पंकज मलिक का बयान रिकॉर्ड किया जाए। साथ ही सभी का बयान दर्ज करने के बाद एफआइआर दर्ज की जाए।

एम्स में कराएं बेहतर इलाज, दें मुआवजा

मुख्य पीठ ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि घटना में गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हुए अधिवक्ता विजय वर्मा के साथ रंजीत मलिक और पंकज दुबे का सबसे बेहतर तरीके से एम्स में इलाज कराया जाए। इसके साथ ही दिल्ली सरकार गंभीर रूप से घायल विजय वर्मा को 50 हजार रुपये का तत्काल मुआवजा दिया जाए। वहीं, रंजीत मलिक को 25 हजार और पंकज दुबे को 10 हजार रुपये का मुआजवा दिया जाए।

पुलिस अधिकारी का तबादला, एएसआइ निलंबित

मुख्य पीठ ने इसके साथ ही अदालत परिसर में अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज करने का आदेश देने के आरोप में विशेष आयुक्त (कानून-व्यवस्था, उत्तरी) संजय सिंह और अधिवक्ताओं पर गोली चलाने का आदेश देने के आरोप अतिरिक्त उपायुक्त (उत्तरी) हरेंद्र कुमार सिंह का मामले की जांच पूरी होने तक तबादला करने का पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया। पीठ ने इसके साथ ही लॉक-अप के अंदर अधिवक्ता को घसीट कर पीटने के आरोपित एएसआइ कांता प्रसाद और अधिवक्ता पर गोली चलाने के आरोपित एएसआइ पवन कुमार के खिलाफ तत्काल निलंबन के संबंध में कार्रवाई करने का आदेश दिया। इसके अलावा एएसआइ पवन कुमार और कांता प्रसाद को निलंबित करने व आगे की कार्रवाई पुलिस आयुक्त को करने का आदेश दिया।

अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई व गिरफ्तारी पर रोक

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया कि दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआइआर के आधार पर अधिवक्ताओं के पुलिस न तो तत्काल कोई कार्रवाई करेगी और न ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।

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