2020 Delhi Riots: लंबे समय तक आरोपितों को नहीं रख सकते सलाखों के पीछे: हाई कोर्ट
अभियोजन पक्ष ने कहा कि मृतक इरफान की मां कुरेशा इसकी चश्मदीद है और उन्होंने इन दोनों को अपने बेटे को पीटकर मारते हुए आराेपितों का विशेष तौर पर नाम लिया है। इस तरह की प्रकृति का अपराध करने वाले आरोपितों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। फरवरी-2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में कई संगीन धाराओं में आरोपित सन्नी उर्फ लल्ला और ब्रजमोहन शर्मा उर्फ गब्बर को 20-20 हजार रुपये के निजी मुचलके पर दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की पीठ ने कहा कि मामले में आरोप तय हो चुके हैं और मुकदमे में लंबा समय लग सकता है, ऐसे में आरोपितों को लंबे समय तक सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता है। पीठ ने यह भी कहा कि मौके के सीसीटीवी फुटेज से आरोपितों के दंगा क्षेत्र में मौजूद होने का प्रमाण मिलता है, लेकिन इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि दोनों आरोपित उसी इलाके रहने वाले हैं। ऐसे में उनकी मौजूदगी उसी क्षेत्र में होगी।
आरोपित न तो गवाहों को प्रभावित करेंगे और अदालत द्वारा निर्देशित करने पर उसके समक्ष पेश हों। अभियोजन पक्ष ने कहा कि मृतक इरफान की मां कुरेशा इसकी चश्मदीद है और उन्होंने इन दोनों को अपने बेटे को पीटकर मारते हुए आराेपितों का विशेष तौर पर नाम लिया है। इस तरह की प्रकृति का अपराध करने वाले आरोपितों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
वहीं, आरोपित की तरफ से बचाव पक्ष ने दलील दी कि मीडिया साक्षात्कार में कहा था कि जब घटना हुई तो वे घर के अंदर थे और उन्होंने किसी को नहीं देखा। इसलिए वे किसी की पहचान नहीं कर सकती हैं। 26 फरवरी को हुए दंगे में लल्ला और गब्बर के खिलाफ उस्मानपुर थाने में हत्या, दंगा फैलाने, जान से मारने की कोशिश करने समेत अन्य धाराओं में रिपाेर्ट दर्ज की गई थी। फरवरी-2020 में हुए दंगे में 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे।