दिल्लीः 5 कॉलेजों के ऑडिट में मिली कई गड़बड़ियां, सुरक्षाकर्मी को दिया जा रहा 40 हजार वेतन
शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को बताया कि सरकार ने 5 कॉलेजों का ऑडिट कराया है। इसकी रिपोर्ट आ गई है। जिसमें गड़बड़ी मिली हैं। मनमाने तरीकों से कॉलेजों में पद सृजित कर लिए गए। इससे आशंका है कि वहां फर्जी कर्मचारी काम कर रहे थे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली सरकार की तरफ से कराई गई स्पेशल ऑडिट में दिल्ली विश्वविद्यालय के सात कॉलेजों में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं मिली हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता कर कहा कि इन कॉलेजों के पास करोड़ों रुपये सरप्लस राशि थे, जिनकी इन्होंने एफडी कराई और शिक्षकों का वेतन रोका, ताकि राज्य सरकार को बदनाम कर सकें। सिसोदिया ने कहा कि इस बारे में कराई गई ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर समुचित कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
इन कॉजेलों में दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, केशव महाविद्यालय, शहीद सुखदेव कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज व महर्षि वाल्मीकि कॉलेज शामिल है। उपमुख्यमंत्री ने दिल्ली सचिवालय में कहा कि इन कॉलेजों ने वित्तीय नियमों का उल्लंघन करके अनियमित तरीके से करोड़ों रुपयों का अवैध खर्च किया। सरकार से अनुमति लिए बगैर टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के नाम पर मनमाने तरीके से पद सृजित कर लिए और अवैध नियुक्तियां कीं। यहां तक कि ऑडिट के दौरान ऐसे लोगों का हाजिरी रजिस्टर तक नहीं दिखाया गया।
सिसोदिया ने कहा कि जिन कॉलेजों को दिल्ली सरकार अनुदान देती है, वैसे सात कॉलेजों के ऑडिट की प्रक्रिया शुरू की गई थी। कॉलेजों ने सहयोग करने के बजाए ऑडिट करने गए लोगों के काम में बाधा डाली तथा खाता बही दिखाने से इंकार कर दिया। अंतत: अदालत के आदेश पर कॉलेजों का ऑडिट हुआ है। लेकिन कोर्ट के आदेश बावजूद अदिति महाविद्यालय और लक्ष्मीबाई कॉलेज ने ऑडिट कराने से इंकार कर दिया। इससे पता चलता है कि इनकी दाल में कितना काला है।
प्रत्येक गार्ड को 40 हजार के भुगतान का मामला आया सामने
मनीष सिसोदिया ने कहा कि इन कॉलेजों ने लैपटॉप, कंप्यूटर, विभिन्न उपकरण तथा गाडि़यों आदि की खरीद के नाम पर वित्तीय नियमों का उल्लंघन करते हुए काफी व्यय किया गया। यहां तक कि सुरक्षा कर्मियों(गार्ड) को 40,000 रुपये मासिक भुगतान के भी मामले सामने आए, जबकि सामान्यतया यह वेतन 14 से 20 हजार तक है। सिसोदिया ने कहा कि पांच कॉलेजों की ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि इन कॉलेजों के पास पर्याप्त राशि होने के बावजूद अवैध तरीके से खर्च करके शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन रोका गया तथा राज्य सरकार पर अनावश्यक आरोप लगाए गए।
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