सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की सफाई के लिए उतरे पांच मजदूरों की मौत, जांच के आदेश
पांच सफाई कर्मियों की मौत मामले में दिल्ली सरकार ने जहां जांच के आदेश दिए हैं। वहीं भाजपा ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। मोती नगर थाना क्षेत्र स्थित डीएलएफ कैपिटल ग्रीन सोसायटी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की सफाई करने उतरे पांच मजदूरों की मौत हो गई। सभी पी. टावर के बेसमेंट में बने एसटीपी में सफाई करने उतरे थे। मृतकों की पहचान पंकज (26), राजा, विशाल, मो. सरफराज (19) और उमेश तिवारी (26) के रूप में हुई है। सफाई के दौरान निकली जहरीली गैस में दम घुटने से मौत की आशंका जताई जा रही है। मामले में दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री गोपाल राय ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने तीन दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है।
घटना रविवार दोपहर बाद करीब सवा चार बजे की है। पी. टावर के बेसमेंट में एसटीपी की सफाई के लिए पांच मजदूरों को उतारा गया था। वे तीन बजे सफाई करने उतरे थे, लेकिन कुछ देर बाद सोसायटी के कर्मचारी मौके पर पहुंचे तो कोई हलचल नहीं दिखी। उन्होंने सोसायटी से जुड़े अधिकारियों को सूचना दी, लेकिन अधिकारी भी बचाव कार्य कराने में असफल रहे। इसके बाद अधिकारियों ने पुलिस व अन्य एजेंसियों को सूचना दी।
पुलिस व अग्निशमन विभाग की टीम ने बचाव कार्य शुरू किया और थोड़ी ही देर बाद पश्चिमी जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से भी बचाव दस्ता भेजा गया। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद बचाव टीम ने अंदर फंसे पांचों मजदूरों को बाहर निकाला। उन्हें नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने चार मजदूरों को मृत घोषित कर दिया, जबकि पांचवें को राममनोहर लोहिया अस्पताल भेज दिया। इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई।
मामले में पश्चिमी जिले की पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज ने बताया कि कई एजेंसियों की लापरवाही इस घटना के लिए जिम्मेदार हो सकती है। सभी की भूमिका की जांच की जा रही है। जिनकी लापरवाही सामने आएगी, उनके खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
पहले तीन मजदूर उतरे थे नीचे
हादसे में मारे गए मजदूरों के एक साथी रहमत ने बताया कि प्रत्येक दो माह में कर्मचारियों को एसटीपी प्लांट की सफाई के लिए अंदर उतारा जाता है। रविवार को भी मो. सरफराज, पंकज, राजा को टैंक की सफाई के लिए उतारा गया था। जब टैंक को खोला गया था तो उसमें काफी बदबू आ रही थी। सुरक्षा के लिहाज से इनको कोई सामान नहीं दिया गया था। सफाई के दौरान जब काफी देर तक उनकी आवाज नहीं आई तो उमेश व विशाल को टैंक में उतारा गया। थोड़ी देर बाद जब इनकी आवाज भी आनी बंद हो गई तो कंपनी के अधिकारियों ने मामले की जानकारी पुलिस को दी।
मृतक उमेश के परिजनों ने बताया कि उमेश हाउस कीपिंग विभाग में कार्यरत थे। टैंक की सफाई के बाद फर्श पर पड़ी गंदगी को साफ करने की जिम्मेदारी उमेश की होती थी। उमेश मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जिला सुल्लतानपुर के रहने वाले थे। दिल्ली में वे नजफगढ़ स्थित प्रेम नगर इलाके में पत्नी और डेढ़ साल की बच्ची के साथ रहते थे। वहीं मो. सरफराज के पिता ने बताया कि दस माह पहले ही उनके बेटे ने यहां काम करना शुरू किया था। घटना के काफी समय बाद तक उन्हें मामले की जानकारी नहीं दी गई। कंपनी के किसी अन्य कर्मचारी ने उन्हें फोन कर ये बात बताई।
मॉक ड्रिल के बाद भी नहीं संभली एजेंसियां
रविवार सुबह ही मोतीनगर स्थित पी टावर कैपिटल ग्रीन डीएलएफ में पश्चिमी जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से जागरुकता कार्यक्रम व मॉक डिल का आयोजन किया गया था। इसमेें तमाम एजेंसियों को सुरक्षा के बारे में विस्तार से बताया गया था। अधिकारियों का कहना है कि यदि कार्यक्रम में बताई गई बातों पर अमल किया गया होता तो इस हादसे की नौबत ही नहीं आती।
मजदूरों के पास नहीं थे जरूरी सामान
मजदूरों के पास मास्क व जरूरी कपड़े तक नहीं थे, जबकि ऐसे कामों में इनका होना जरूरी है। आशंका है कि अंदर मौजूद जहरीली गैस के कारण उनका दम घुट गया होगा। हालांकि सही कारण का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही चलेगा। प्राधिकरण के मुताबिक जो पांच मजदूर अंदर भेजे गए थे वे अलग-अलग फर्म से जुड़े थे। अग्निशमन विभाग के सहायक मंडल अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि एसटीपी की सफाई के लिए सुरक्षा से जुड़े उपकरण अगर इन लोगों ने पहने होते तो ये हादसा नहीं होता।
क्या कहता है कानून
वर्ष 2013 में प्रोहिबिशन ऑफ एंप्लॉयमेंट ऐज मैनुअल स्केवेंजर एंड देयर रिहैबिलिटेशन एक्ट पारित हुआ। इस कानून में यह प्रावधान किया गया कि कोई भी इंसान सफाई के लिए सीवर के अंदर नहीं जाएगा, यदि जाएगा भी तो आपात स्थिति में और पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ। कानून में इससे जुड़े लोगों के पुनर्वास के लिए आर्थिक सहायता देने के लिए सर्वे कराने का भी प्रावधान रखा गया था।
निर्देशों का पालन नहीं करती हैं एजेंसियां
राजधानी में सिविक एजेंसियों से लेकर निजी फर्म तक में लापरवाही भरी पड़ी है। इस वजह से लोगों की जान तक जा रही है। मोती नगर में एसटीपी की सफाई के दौरान हुई लोगों की मौत लापरवाही को दर्शा रही है। 1सफाई कर्मचारियों द्वारा मैला ढोना और निकालना प्रतिबंधित है। उसके लिए कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इन कानूनी प्रावधानों और जागरूकता अभियानों के बीच पिछले पांच सालों में सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई के दौरान जहरीली गैस से दम घुटने के कारण 84 से ज्यादा मजदूरों की मौत हो चुकी है, क्योंकि उन्हें जीवन रक्षा के साधन मुहैया नहीं कराए गए थे।
क्या हैं दिशा निर्देश: सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 21 दिशानिर्देशों का पालन करना जरूरी है। इसमें विशेष सूट, ऑक्सीजन सिलेंडर, मास्क, गम शूज, सेफ्टी बेल्ट व आपातकाल की अवस्था के लिए एंबुलेंस को पहले सूचित करना तक शामिल है, लेकिन इसपर अधिकांश मामलों में अमल नहीं होता है। इसपर न तो सरकारी और न ही निजी एजेंसियां अमल कर रही हैं। ऐसे में मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
मौत पर सिसायसत शुरू
भाजपा के दिल्ली प्रदेश प्रभारी मनोज तिवारी ने कहा सीवर में सफाई करते हुए 5 कर्मचारियों की मौत के लिए केजरीवाल जिम्मेदार हैं, जांच एजेंसी उन्हें जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई करें। कर्मचारी बिना सुरक्षा उपकरण के सीवर की सफाई करते हैं जिससे उनकी मौत हो रही है। पिछले 3 वर्षों में लगभग 60 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। केजरीवाल ने सीवर कर्मियों को पर्याप्त सुविधा व उपकरण उपलब्ध कराने का वादा किया था जो पूरा नहीं हुआ है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के महापौर नरेंद्र चावला ने कहा कि सीवर में कर्मचारियों की मौत के के लिए केजरीवाल पर हत्या की साजिश का मामला दर्ज होना चाहिए।