अब दिल्ली की सड़कें होंगी सुरक्षित, सड़क हादसों को रोकने के लिए दिल्ली सरकार की नई पहल
सड़कों की ढांचागत-तकनीकी खामियों के कारण ही देश में हर साल प्रति दो किमी. पर एक मौत होती है। जबकि दिल्ली एनसीआर में यह प्रति एक किमी. पर होती है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सड़क हादसों को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने नई पहल करते हुए गैर सरकारी संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन के साथ समझौता किया है। इस समझौते के तहत दिल्ली की तमाम खतरनाक सड़कों को दोबारा डिजाइन करके उनकी खामियां दूर की जाएंगी। साथ ही पैदल यात्रियों एवं साइकिल सवारों के लिए भी बेहतर बनाया जाएगा। यह समझौता सोमवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीयूष तिवारी और दिल्ली के लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन के बीच हुआ।
इस अवसर पर दिल्ली डायलॉग डेवलपमेंट कमीशन के उपाध्यक्ष जैस्मीन शाह, न्यूयॉर्क की पूर्व परिवहन आयुक्त जैनेटे सादिक खान सहित दिल्ली सरकार एवं अंतरराष्ट्रीय संगठन नेक्टो-जीडीसीआइ के पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
इस दौरान जैन ने कहा कि सड़क हादसे थामने के लिए विभिन्न सड़कों की तकनीकी खामियां दूर करना समय की मांग है। अपने साथ 12 इंजीनियरों की टीम लेकर पहुंचे जैन ने कहा कि अन्य देशों में सड़कों पर पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ कहीं ज्यादा चौड़ा होता है, जबकि हमारे यहां यह सिर्फ डेढ़ मीटर का है।
इसके अलावा साइकिल सवारों के लिए भी सुरक्षित लेन नहीं होती। इस पर काम किया जाना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने 40 देशों के 70 शहरों के सहयोग से तैयार की गई ग्लोबल स्ट्रीट डिजाइन गाइड की गाइडलाइंस को भी उपयोगी बताया। न्यूयॉर्क की पूर्व परिवहन आयुक्त जैनेटे सादिक खान का कहना था कि दिल्ली की सड़कों में तकनीकी सुधार की गुंजाइश काफी ज्यादा है।
फाउंडेशन के सीईओ पीयूष तिवारी ने कहा कि सड़कों की ढांचागत-तकनीकी खामियों के कारण ही देश में हर साल प्रति दो किमी. पर एक मौत होती है। जबकि दिल्ली एनसीआर में यह प्रति एक किमी. पर होती है। खामियों को दूर करने में दिल्ली यातायात पुलिस का भी सहयोग लिया जाएगा।
फाउंडेशन ने इस दिशा में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बाहरी रिंग रोड पर बुराड़ी क्रॉसिंग से भलस्वा तक करीब तीन किमी. का हिस्सा लिया है। काम सप्ताह भर में शुरू हो जाएगा। दिल्ली में यहीं सबसे ज्यादा हादसे (हर साल प्रति किमी. 11 की मौत)होते हैं। पिछले दो सालों में यहां 67 लोग मारे गए हैं।