दिल्ली सरकार ने गणेश चतुर्थी और दशहरा के लिए जारी की गाइडलाइंस, उल्लंघन पर हो सकती है जेल
यमुना में मूर्ति विसर्जन पर अब 50 हजार रुपये का जुर्माना भरना होगा। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने गणेशोत्सव और दुर्गा पूजा के दौरान यमुना में मूर्ति विसर्जन को लेकर गाइडलाइंस जारी की हैं। इन दिशानिर्देशों के अनुसार नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के आदेश के तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों में मूर्ति विसर्जन करने पर 50 हजार रुपये का पर्यावरण क्षति शुल्क लगेगा।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। गणेशोत्सव और दुर्गा पूजा के दौरान यमुना में मूर्ति विसर्जन करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने इसके लिए पहले से तय नियमों के आधार पर फिर से गाइडलाइंस जारी की है।
गाइडलाइंस के मुताबिक नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) द्वारा 2019 एवं 2021 में जारी आदेश के अनुसार गंगा और उसकी सहायक नदियों में मूर्ति विसर्जन करने पर 50 हजार रुपये का पर्यावरण क्षति शुल्क लगाया जाएगा। वहीं एनएमसीजी के एन्वॉयरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के सेक्शन पांच के अनुसार नदियों को प्रदूषित करने पर एक लाख रुपये जुर्माना, जेल या दोनों की सजा हो सकती है। डीपीसीसी ने मूर्तिकारों और आम लोगों के लिए विसर्जन की गाइडलाइंस जारी की है।
मूर्तिकारों के लिए
- मूर्ति बनाने के लिए प्राकृतिक मिट्टी, बायोडिग्रेडेबल मैटीरियल का इस्तेमाल करें
- मूर्ति को सजाने के लिए प्राकृतिक रंगों व बायोडिग्रेडेबल मैटीरियल का इस्तेमाल करें
- पीओपी की मूर्तियां न बनाएं
आम लोगों और आरडब्ल्यूए के लिए
- पीओपी की मूर्ति का विसर्जन जोहड़ों, झीलों, तालाबों व नदियों में न करें
- जहां तक संभव हो, मूर्ति विसर्जन टब या बाल्टी में करें
- पूजा के सामान जैसे फूल, सजावटी सामान विसर्जन से पहले मूर्ति से हटा लें
विभागों के लिए
- सिविक एजेंसियां मूर्ति विसर्जन के लिए अस्थाई तालाबों का इंतजाम करें
- एमसीडी और दिल्ली पुलिस गाड़ियों को चैक करें कि कोई मूर्तियों का विसर्जन करने यमुना तक न आए
- एमसीडी ऐसे मूर्तिकारों पर एक्शन ले जो बिना लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन के मूर्तियां बेच रहे हैं
- संबंधित डीएम जुर्माना लगाने के लिए अपने अपने एरिया में टीमें बनाएं
क्यों प्रतिबंधित है यमुना में मूर्ति विसर्जन?
मूर्ति विसर्जन की वजह से यमुना के पानी में कई तरह के केमिकल्स जैसे मर्करी, जिंक आक्साइड, क्रोमियम, लेड, कैडमियम आदि घुल जाते हैं। यह जल में रहने वाले जीवों के लिए काफी नुकसानदेह है। इस तरह के पानी की मछलियां जब व्यक्ति खाते हैं तो उनमें कई तरह की बीमारी का खतरा होता है