Move to Jagran APP

कूड़े से निपटने के लिए नहीं मिल रहा दिल्ली सरकार का सहयोग

कूड़े के पहाड़ों से निपटने को लेकर निगम की कार्य योजना पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर आदेश गुप्ता से दैनिक जागरण संवाददाता की विशेष बातचीत।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 01:41 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 01:41 PM (IST)
कूड़े से निपटने के लिए नहीं मिल रहा दिल्ली सरकार का सहयोग
कूड़े से निपटने के लिए नहीं मिल रहा दिल्ली सरकार का सहयोग

नई दिल्ली (जेएनएन)। नगर निगम सफाई और कूड़ा निस्तारण की जिम्मेदारी निभाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। यही वजह है कि दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों की ऊंचाई बढ़ती ही जा रही है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट भी निगम की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगा चुका है। इन कूड़े के पहाड़ों से निपटने को लेकर निगम की क्या कार्ययोजना है? इस बाबत उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर आदेश गुप्ता से दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता निहाल सिंह ने विस्तृत बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंशः

prime article banner

सवालः सुप्रीम कोर्ट ने कूड़े के पहाड़ को लेकर नगर निगमों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे। कूड़े का निस्तारण कैसे किया जाएगा?

जवाबः उत्तरी निगम लैंडफिल साइट पर डाले जा रहे कूड़े को खत्म करने के लिए प्रयासरत है। इसके तहत भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़े से बिजली बनाई जा रही है। केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रलय की मदद से आइआइटी के विशेषज्ञ भलस्वा लैंडफिल साइट का अध्ययन कर रहे हैं, तीन माह में इसकी रिपोर्ट आएगी। विशेषज्ञों की जो भी सलाह होगी, उसके आधार पर भलस्वा लैंडफिल साइट पर डाले जा रहे कूड़े से निपटा जाएगा। वर्ष 2020 तक भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़ा डालना बंद कर दिया जाएगा।

सवालः कूड़े के पहाड़ की समस्या से निपटने में देरी क्यों हो रही है?

जवाबः दिल्ली सरकार द्वारा समय से फंड जारी न करने से कई योजनाएं समय पर शुरू नहीं हो पाती हैं। अगर निगम के प्रति दिल्ली सरकार का सकारात्मक रुख व सहयोग होता तो हम कूड़े के पहाड़ से निपटने के लिए पहले ही बहुत कुछ काम शुरू कर चुके होते। हम सीमित संसाधनों के बीच समाधान निकाल रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस पर नजर बनाए हुए है। इसमें अब काफी तेजी से काम हो रहा है।

सवालः गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग करने की दिशा में क्या काम किया जा रहा है?

जवाबः यह बात सही है कि अगर गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग कर लिया जाए तो लैंडफिल साइट पर उतनी मात्र में कूड़ा नहीं जाएगा, जितनी मात्र में अभी जा रहा है। इस दिशा में निगम ने घर-घर से कूड़ा उठाने और उसे अलग करने की निविदा प्रक्रिया को मंजूरी दी है। इससे गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग किया जा सकेगा। इसके साथ ही नागरिकों से गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग करने की अपील के साथ उन्हें जागरूक भी किया जा रहा है। इसके लिए हरे व नीले रंग के कूड़ेदान भी बांटे गए हैं।

सवालः लोग डलावघर में मलबा फेंक देते हैं। फिर यही मलबा लैंडफिल साइट तक पहुंचाया जाता है। इसपर कैसे रोक लगाई जाएगी?

जवाबः हमने मलबा डालने के लिए स्थान चिह्नित किए हैं। नागरिकों से कई बार अपील की गई है कि वे चिह्नित स्थानों पर ही मलबा डालें, लेकिन वे कहीं भी मलबा डाल देते हैं। ऐसे लोगों पर लगाम कसने के लिए उत्तरी निगम ने मोबाइल एप तैयार किया है, जिससे निगम का सफाई निरीक्षक इन लोगों का ई-चालान कर सकेगा।

सवालः निगम की कमान कई वर्षो से भाजपा के हाथों में है, मगर आप कूड़े का निस्तारण नहीं कर पा रहे हैं। इसपर आपका क्या कहना है?

जवाबः एकीकृत निगम में भाजपा की सरकार के समय ही कूड़े से बिजली बनाने का संयत्र शुरू किया गया था। इस दिशा में हम यहां तक आगे आ गए हैं कि उत्तरी निगम में 4000 मीटिक टन कूड़ा निकलता है, जिसमें से दो हजार मीटिक टन कूड़े से बिजली बनाई जाती है। लैंडफिल साइट पर कम से कम कूड़ा जाए, इसके लिए कूड़े से बिजली बनाने का एक और संयंत्र लगाया जाएगा। इस योजना पर तेजी से काम हो रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK